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बस्ता रखने तक का पैसा लेते हैं निजी स्कूल

मुजफ्फरपुर: विकास शुल्क के नाम पर शहर के निजी स्कूल अभिभावकों से एक हजार से लेकर चार हजार रुपये वसूल करते हैं. कुछ ऐसे स्कूल हैं, जो साल में दो बार विकास शुल्क का रसीद अभिभावकों को थमा देते हैं. यही नहीं, जब स्कूल प्रबंधन की ओर से मिसलेनियस चार्ज की डिमांड की जाती है, […]

मुजफ्फरपुर: विकास शुल्क के नाम पर शहर के निजी स्कूल अभिभावकों से एक हजार से लेकर चार हजार रुपये वसूल करते हैं. कुछ ऐसे स्कूल हैं, जो साल में दो बार विकास शुल्क का रसीद अभिभावकों को थमा देते हैं. यही नहीं, जब स्कूल प्रबंधन की ओर से मिसलेनियस चार्ज की डिमांड की जाती है, तो अभिभावकों का दिमाग ठनक जाता है.

लेकिन विकास शुल्क व मिसलेनियस शुल्क में किन-किन सुविधाओं को जोड़ा गया है, इस बारे में कोई भी निजी स्कूल बताने को तैयार नहीं है. हद तो यह है कि उक्त दो शुल्क के अलावा निजी स्कूल अभिभावकों पर दस अलग-अलग तरह के शुल्क का बोझ डालते हैं.

ऊपर से तय होता है शुल्क. अभिभावक सरफराज अहमद मीनू व मुकेश कुमार ने जब स्कूल प्रबंधन से पूछा कि विकास शुल्क व मिसलेनियस शुल्क में किन-किन मदों की राशि जोड़ी गयी है तो जवाब मिला कि यह ऊपर से मैनेजमेंट तय करती है. अभिभावकों ने बताया कि जब इस विषय पर हमलोगों ने आपत्ति जतायी तो प्रबंधन की ओर से कड़े रुख से बात की गयी.

अभिभावकों को देना पड़ता है स्टोर चार्ज . शहर में कई ऐसे प्ले स्कूल हैं, जहां अभिभावकों को स्टोर चार्ज प्रतिमाह जमा करना पड़ा है. अभिभावक राजेश श्रीवास्तव, अली इमाम व रजनीश कुमार ने बताया कि स्कूल में बच्चों के स्कूल बैग से लेकर अन्य सामान को रखने के लिए भी स्टोर चार्ज के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है.

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