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महाजाम : सब हुए हलकान

मुजफ्फरपुर: जाम का जंजाल शहर के लिए नासूर का रूप लेता जा रहा है. सावन की चौथी सोमवारी को शहर में महाजाम लगा. इससे लोगों को एक स्थान से दूसरी जगह जाने में घंटों लग गये. गाड़ियां रेंग भी नहीं रहीं थी. पैदल भी चलना मुश्किल था, लोग जहां-तहां से निकलने की कोशिश कर रहे […]

मुजफ्फरपुर: जाम का जंजाल शहर के लिए नासूर का रूप लेता जा रहा है. सावन की चौथी सोमवारी को शहर में महाजाम लगा. इससे लोगों को एक स्थान से दूसरी जगह जाने में घंटों लग गये. गाड़ियां रेंग भी नहीं रहीं थी. पैदल भी चलना मुश्किल था, लोग जहां-तहां से निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कामयाब होते नहीं दिख रहे थे. इसी वजह से ट्रैफिक नियम भी जम कर टूटे. गली-कूचों में भी लोग घंटों फंसे रहे. सोमवार को शहर में ट्रैफिक व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं दिखी. लोग जिस गली से निकलते थे. वहीं, जाम में फंस जाते थे. शहर के साथ एनएच-77, एनएच-28, एनएच-102, एनएच-57 भी जाम की चपेट में रहे. सुबह से ही शुरू हुआ जाम शाम तक चलता रहा. सरैयागंज टावर से डीएम आवास तक 11 बजे दिन में करीब आधा किलो मीटर की दूरी तय करने में दो घंटे का समय लगा. यही हाल लगभग सभी मुख्य व गली वाली सड़कों की थी.

लगा एक घंटा
पंडित नेहरू स्टेडियम से करबला तक जाने में करीब तीन सौ मीटर दूरी तय करने में एक घंटा दस मिनट का समय लगा. उमस भरी तेज धूप में लोग अपने गंतव्य स्थान जाने को बेचैन रहे. शहर का मुख्य चौराहा सरैयागंज टावर हो या कल्याणी चौक जवाहर लाल रोड या मोतीझील, बनारस बैंक चौक हो या मिठनपुरा चौक, इमली चट्टी व माड़ीपुर, जूरन छपरा हो या चांदनी चौक, चक्कर चौक हो या छाता चौक, सब जाम की चपेट में था. इन चौक व सड़कों से मिलने वाले सभी गली मोहल्लों के रास्ते भी जाम की चपेट में था.

हर तरफ था जाम
जाम में फंसे लोग जहां कहीं भी गली मोहल्ले की सड़कें मिलती थी. वहां से वे घुस कर निकलना चाहते थे, लेकिन जब वे गली में आगे बढ़ते थे तो वहां भी उसी तरह की जाम की समस्या से जुझना पड़ता था. बोचहां के बेनी सहनी घर से दस बजे कचहरी के लिए मोटरसाइकिल पर सवार हो कर निकले. पहले उन्हें जीरो माइल चौक पर जाम का सामना करना पड़ा. जीरो माइल से आगे बढ़ने पर आखाड़ाघाट पुल पर जाम में आधा घंटा फंसे. जैसे ही 11:30 बजे सिकंदरपुर मोड़ पर पहुंचे तो महाजाम देख रानी सती मंदिर मार्ग होते हुए करबला की ओर बढ़े. नेहरू स्टेडियम के समीप से ही भीषण जाम में वे फंस गये. न आगे जाने का रास्ता था, न पीछे मुड़ने का उपाय था. जब करबला से कंपनी बाग पहुंचे तो वहां से कचहरी पहुंचने में उन्हें 32 मिनट का समय लगा. सिकंदरपुर मोड़ से 11:30 बजे चले बेनी सहनी 1:10 मिनट पर कचहरी पहुंचे. अमूूमन सिकंदरपुर मोड़ से कचहरी पहुंचने में पांच मिनट का समय लगता है.

पैदल गये घर
कचहरी से निकले अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार को सदर अस्पताल तक पहुंचने में दो घंटा दस मिनट लगा. अमरेंद्र कुमार को गन्नीपुर जाना था. लेकिन उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल सदर अस्पताल में ही लगा कर, पैदल ही गन्नीपुर जाना पड़ा. अमरेंद्र की तरह कई और लोगों ने यही रास्ता अपनाया.

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