रक्सौल. व्यक्ति का मनोभाव ही लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक होता है. सही मनोभाव से जो लोग कार्य करते हैं, उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है. यह बात वृदांवन से आयी गुरु ध्यान मूर्ति ने शहर के मछली बाजार में आयोजित नौ दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं से कही. भावना एक ऐसी डोर है, जिसमें इनसान तो क्या भगवान भी बंध जाते हैं. भावना की ही देन है कि संधि प्रस्ताव को लेकर भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका से हस्तिनापुर में दुर्योधन के यहां गये, लेकिन भोजन विदुर के यहां किया. विदुर की कुटिया पर विदुर की पत्नी ने देखा कि साक्षात नारायण आये हैं. आसन पर केला का फल लेकर बैठी, लेकिन नारायण की छवि को देखकर वे इस कदर भाव-विभोर हो गयी कि केला को छिलती और उसकी गिरी नीचे गिरा देती और छिलका नारायण को खिला देती. वहीं भगवान भी उस अविरल प्रेम को देखकर छिलका ही खाकर बोले की यह स्वाद तो मां यशोदा के दूध में भी नहीं आया, जो आज आपके हाथों से इस फल में आ रहा है. उन्होंने कहा कि मनुष्य भावना से महान होता है. मौके पर मुख्य यजमान विश्वनाथ प्रसाद, जगदीश अग्रवाल, चंद्रकिशोर प्रसाद, ओमप्रकाश गुप्ता, भरत प्रसाद गुप्ता, शिवपूजन गुप्ता, रविंद्र मिश्र, नारायण प्रसाद, जगदीश प्रसाद, पन्नालाल प्रसाद, भैरव प्रसाद, रामजी प्रसाद, चिरण कुमार, सुबोध गुप्ता, हरिपूजन प्रसाद, रमेश प्रसाद, विनोद प्रसाद उपस्थित थे.
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भावना से ही महान होता है मनुष्य
रक्सौल. व्यक्ति का मनोभाव ही लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक होता है. सही मनोभाव से जो लोग कार्य करते हैं, उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है. यह बात वृदांवन से आयी गुरु ध्यान मूर्ति ने शहर के मछली बाजार में आयोजित नौ दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं से कही. भावना एक ऐसी डोर […]
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