* सोलर लाइट घोटाला
* निगरानी डीएसपी ने 31 जुलाई को सौंपी जांच रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर : सोलर लाइट घोटाले की जांच के जद में पूर्व जिलाधिकारी भी आ गये हैं. 31 जुलाई को निगरानी डीएसपी विजय प्रताप सिंह ने निगरानी एसपी को सौंपे अपने रिपोर्ट में उन पर सवाल उठाये हैं. यही नहीं रिपोर्ट में डीडीसी नईम अख्तर, सभी प्रखंड के बीडीओ, मुखिया, पंचायत सचिव व आपूर्तिकर्ता के खिलाफ भी पर्याप्त साक्ष्य होने की बात कही गयी है.
निगरानी डीएसपी श्री सिंह की रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर जिला विकास प्रशाखा के ज्ञापांक 1470 (दिनांक 01 अक्टूबर 2010 ) के द्वारा श्री राम इलेक्ट्रीक, लक्ष्मीनारायण रोड को आदेश देते हुए 49,800 रुपये की दर से दो सोलर लाइट लगाने को कहा गया. इसके लिए पूर्व जिलाधिकारी आनंद किशोर के द्वारा 99,600 रुपये स्वीकृत कर दी गयी.
जबकि सरकारी निर्देश के अनुसार एक सोलर लाइट की कीमत पहले 28,100 रुपये व बाद में 22,000 रुपये निर्धारित की गयी थी. ऐसे में जिला नजारत उपसमाहर्ता को उक्त राशि का चेक निर्गत करने हेतु प्रेषित कर सरकारी नियम का अवहेलना करते हुए सरकारी राशि का दुरुपयोग व घोटाला किया गया.
जांच में मुशहरी के तत्कालीन बीडीओ जोगेंद्र कुमार सिंह, बोचहां निर्मला कुमारी, गायघाट अशोक कुमार शर्मा, सरैया अशोक प्रसाद सिंह, साहेबगंज मंडल मिश्र, मोतीपुर उपेंद्र प्रसाद, औराई पंकज कुमार, कटरा मो कयूम अंसारी व अब्दुल रहमान, पारू सुरेंद्र सिंह, बंदरा मिथिलेश प्रसाद, मड़वन अमरेंद्र कुमार, मीनापुर नवल किशोर प्रसाद, सकरा सुधीर कुमार, कुढ़नी अशोक कुमार सिंह, मुरौल अशोक कुमार सिंह व कांटी रामजी प्रसाद ने राशि का दुरुपयोग कर करीब 08 करोड़ 60 लाख 82 हजार 864 रुपये का घोटाला किया.
प्रतिवेदन में बताया गया है कि अब तक की जांच से सरकारी राशि की घोटाला की तालिका में उपविकास आयुक्त, सभी बीडीओ, मुखिया, पंचायत सचिव व आपूर्तिकर्ता के विरुद्ध साक्ष्य उपलब्ध है. इसका अभिलेख 10 हजार से अधिक पन्नों में तैयार किया गया है. पूर्व जिलाधिकारी आनंद किशोर ने बताया कि 06 अक्टूबर 2009 को वे मुजफ्फरपुर में ज्वाइन ही किये थे.
वे अपने कार्यकाल में न तो सोलर लाइट के लिए स्वीकृति दी और न ही भुगतान का आदेश ही दिया. सोलर लाइट का मामला उनसे पहले का है. जानकारी हो कि अधिवक्ता सुधीर ओझा ने निगरानी न्यायालय में सोलर लाइट में बड़े पैमाने पर घोटाले का मामला दर्ज कराया था. इसकी जांच का जिम्मा निगरानी डीएसपी विजय प्रताप सिंह को दिया गया था.