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पीजी विभागाध्यक्ष करायेंगे पार्ट थर्ड की कॉपियों की जांच

मुजफ्फरपुर: विवि में परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सोमवार को कई अहम फैसले लिये गये. इसके तहत प्रश्न पत्र सेटिंग से लेकर कॉपियों के मूल्यांकन की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव होगा. शुरुआत स्नातक पार्ट थर्ड परीक्षा की कॉपियों की जांच से होगा. कॉपियों की जांच विवि पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में होगा. इसके लिए […]

मुजफ्फरपुर: विवि में परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सोमवार को कई अहम फैसले लिये गये. इसके तहत प्रश्न पत्र सेटिंग से लेकर कॉपियों के मूल्यांकन की वर्तमान व्यवस्था में बदलाव होगा. शुरुआत स्नातक पार्ट थर्ड परीक्षा की कॉपियों की जांच से होगा. कॉपियों की जांच विवि पीजी विभागाध्यक्षों की देखरेख में होगा. इसके लिए पहले कॉपियों की कोडिंग की जायेगी. कोडिंग के बाद विषयवार कॉपियां संबंधित विभागाध्यक्षों को सौंप दी जायेगी. यह फैसला सोमवार को कुलपति डॉ पंडित पलांडे की अध्यक्षता वाली परीक्षा बोर्ड ने लिया है.

बोर्ड ने कॉपियों की जांच के लिए परीक्षकों के चयन की प्रक्रिया में भी बदलाव का फैसला लिया है. इसके तहत परीक्षा विभाग परीक्षकों के नाम का पैनल तैयार करेगी. उस पैनल को डीन के पास भेज दिया जायेगा. डीन की मंजूरी के बाद उसे परीक्षा बोर्ड की बैठक में रखा जायेगा. बोर्ड की सहमति के बाद ही उनसे कॉपियों की जांच करवायी जायेगी.

अब तीन सेट में तैयार होगा प्रश्न पत्र : परीक्षा बोर्ड की बैठक से पूर्व कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने विवि के सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. इसमें परीक्षा के प्रश्न पत्र सेटिंग व उसे गोपनीय बनाये रखने पर चर्चा हुई. विभागाध्यक्षों की सलाह पर फैसला लिया गया कि अब किसी भी परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र के दो सेट की बजाये तीन सेट तैयार किये जायेंगे. सारे प्रश्न पत्र बाह्य विशेषज्ञों सेट करेंगे. बाद में विवि में ही प्रश्न पत्र को मोडरेशन किया जायेगा. उसके बाद उसे प्रिंट करने के लिए प्रेस को सौंपा जायेगा. परीक्षा बोर्ड ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी है.

प्रमाण पत्रों में होगा विवि का मोनोग्राम : विवि के प्रमाण पत्र की विश्वसनियता कायम रखने के लिए बोर्ड ने अहम फैसला लिया है. इसके तहत जल्द ही विवि के सभी प्रमाण पत्र में एक खास तरह का मोनोग्राम होगा. इसके लिए बाहर से तीन विशेषज्ञों को बुलाया जा सकता है. उनके मेहनताना के भुगतान का मोड क्या होगा, यह फैसला फाइनेंस कमेटी की बैठक में तय होगा. इधर, प्रमाण पत्र को सुरक्षित रखने व उसकी विश्वसनियता कायम रखने के लिए अन्य मानकों के बारे में परीक्षा नियंत्रक डॉ पंकज कुमार को अन्य विवि से जानकारी जुटाने का निर्देश दिया गया है.

एडवोकेट जनरल से विवि लेगी राय

स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा से निष्कासित चार परीक्षार्थियों को दुबारा परीक्षा में शामिल करने का मामला अब कानूनी पचड़े में फंस गया है. परीक्षा बोर्ड ने इस मामले में पहले राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल से राय लेने का फैसला लिया है. इसके लिए जल्द ही संचिका उनके पास भेजी जायेगी. गौरतलब है कि 26 दिसंबर को स्नातक पार्ट थर्ड की परीक्षा में वाणिज्य के सात परीक्षार्थियों को नकल के आरोप में परीक्षा से निष्कासित कर दिया गया था. बाद में वह परीक्षा ही रद्द हो गयी. इस आधार पर विवि अधिकारियों ने चार परीक्षार्थी को पुन: परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी. हालांकि इसको लेकर एलएस कॉलेज प्रबंधन के साथ अधिकारियों की नियम को लेकर काफी बहस हुई थी. परीक्षा बोर्ड के फैसला आने तक इन छात्रों का रिजल्ट रुका रहेगा.

औसत मार्क के आधार पर निकलेगा रिजल्ट

विकास कुमार नाम के छात्र ने वर्ष 2007 में स्नातक पार्ट टू की परीक्षा दी थी. लेकिन उसे परीक्षा में अबसेंट घोषित कर दिया गया. वह केंद्र से मेमो लेकर वर्षो तक विवि का चक्कर लगाता रहा, लेकिन रिजल्ट में कोई सुधार नहीं हुआ. इस बीच तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बाद उस परीक्षा की तमाम कॉपियां बेच दी गयी. इसके बाद विवि ने उसका रिजल्ट सुधारने से इनकार कर दिया. बाद में उसने पटना हाइकोर्ट में मामला दर्ज कर दिया. कोर्ट में भी उसके पक्ष में फैसला आया व अधिकारियों को जल्द उसका रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया. सोमवार को मामला परीक्षा बोर्ड में रखा गया. वहां फैसला लिया गया कि कॉपियां बिक जाने के कारण विकास को अन्य पेपर में प्राप्त अंक के आधार पर औसत अंक देकर रिजल्ट जारी कर दिया जाये.

निजी कॉलेज में भी प्रैक्टिकल की परीक्षा

परीक्षा बोर्ड परीक्षा बोर्ड ने अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों के साथ-साथ निजी कॉलेजों में भी स्नातक पार्ट वन की प्रैक्टिकल परीक्षा को हरी झंडी दे दी है, जहां के छात्र इस बार पार्ट वन की परीक्षा दे रहे हैं. लेकिन शर्त यह रखी गयी है कि वहां प्रैक्टिकल परीक्षा की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हो. गौरतलब है कि परीक्षा बोर्ड की सहमति से 24 निजी कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में शामिल किया गया है. इसमें से कई ऐसे कॉलेज भी हैं, जिसके खिलाफ निगरानी में मामला दर्ज है. वहां परीक्षा केंद्र बनाये जाने के लिए हाइकोर्ट के आदेश को आधार बनाया गया है, जिसके तहत सिर्फ मामला दर्ज होने से कोई दोषी नहीं हो जाता है.

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