मुजफ्फरपुर: स्टेशन रोड में खास महाल के जमीन पर बने मीनाक्षी इंटरनेशनल होटल के निर्माण से जिला परिषद ने पल्ला झाड़ लिया है. जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह डीडीसी ने इस मामले में डीएम को जो रिपोर्ट सौंपी है, इससे स्पष्ट है कि जिला परिषद का होटल निर्माण से कोई लेना-देना नहीं है.
बताया गया है कि जिला परिषद के बैठक में उक्त भूमि पर मार्केट कॉम्पलेक्स बनाने का निर्णय लिया गया था. इसी के तहत स्व वित्त पोषित योजना में निचले तल्ला में दुकानों का निर्माण कराया गया. इसे 31 लोगों को आवंटित किया गया था. दूसरे तल्ले पर दुकान बनाने के लिए चार लोगों के साथ एकरारनामा हुआ. इनमें राजीव कुमार गुप्ता (पिता श्याम लाल गुप्ता, किरण सिंह (पिता उपेद्र सिंह), वीणा सिंह (पिता उपेद्र सिंह), ओम प्रसाद गुप्ता (पिता गौड़ी श्ंकर साह), ओम प्रसाद चौधरी (पिता महावीर प्रसाद) के नाम शामिल हैं. एग्रीमेंट के बाद इन लोगों ने होटल के प्रथम तल व दूसरे तल पर होटल का निर्माण कराना शुरू कर दिया. इसका नामकरण भी इनके द्बारा किया गया.
अवैध निर्माण रोकने की जम्मेदारी किसकी? इस मामले में जिला परिषद के जिला अभियंता के रिपोर्ट से जिप प्रशासन खुद कटघरे में खड़ा हो गया है. अभियंता ने कहा है कि लंबी अवधि तक होटल निर्माण होने पर आपत्ति नहीं की. अब यह मामला उजागर किया जा रहा है. जबकि दूसरी ओर उसी रिपोर्ट में जिला अभियंता यह भी कह रहे हैं कि पूरे भवन का स्वामित्व जिला परिषद का है. सभी जिला परिषद के किरायेदार के रूप में हैं. अब सवाल उठता है कि अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी? जिला परिषद को खास महाल की भूमि जब लीज पर दी गयी थी, तो लाजिमी है कि उनको व्यावसयिक उपयोग नहीं करने के शर्त पर दी गयी होगी. लेकिन अब जिला परिषद अपनी गलती छुपाने के लिए इसका ठीकरा खास महाल पदाधिकारी पर ही फोड़ रहे हैं. खास महाल पदाधिकारी से अब पूरे जिला की खास महाल जमीन का लेखा-जोखा मांगा जा रहा है. जिस-जिस संस्था सें खास महाल की जमीन की बंदोबस्ती, नवीकरण किया गया है, उसका ब्यौरा तलब किया गया है. उनसे पूछा गया है कि खास महाल पर हुए निर्माण पर आपत्ति क्यों नहीं की गयी.