मुजफ्फरपुर: खतरनाक जानलेवा बीमारी इबोला से बचाव के लिए राज्य सरकार ने तैयारी तेज कर दी है. सरकार की चिंता कांगो से सूबे में आये 10 लोगों की पहचान नहीं होने से बढ़ गयी है.
ये लोग नवंबर में सूबे में पहुंचे थे, लेकिन पहचान नहीं होने से इन लोगों की स्वास्थ्य जांच नहीं हो सकी. एक महीने तक इन लोगों के स्वास्थ्य में आयी तब्दीली का भी निरीक्षण नहीं हो सका. चिंता इस बात की है कि इनमें से कोई भी इबोला से प्रभावित हुआ तो बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी की चपेट में आ जायेंगे.
इबोला के बढ़ते संकट को देखते हुए पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने पटना में सभी जिलों के सीएस, एसीएमओ व मलेरिया पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसमें इबोला से बचाव व बीमारी की पहचान के लिए पीएचसी स्तर पर डॉक्टरों व पारामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया गया. जिले से एसीएमओ डॉ जेपी रंजन व जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार प्रशिक्षित किये गये. बैठक में इस बीमारी के लक्षण व बचाव के लिए बैनर-पोस्टर लगाने की भी कार्ययोजना बनायी गयी. साथ ही इबोला के मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल, पीएचसी व नर्सिग होम को अलग से व्यवस्था किये जाने का निर्देश दिया गया. मरीजों के इलाज में सावधानी बरतने, सुरक्षा के नियमों का पालन करने व इलाज के लिए मेडिसीन की सूची भी उपलब्ध करायी गयी.
इबोला प्रभावित देशों से आनेवालों में 11 मुजफ्फरपुर जिले के
इबोला से प्रभावित देशों से पिछले महीने तक 209 लोग सूबे में पहुंचे थे. इनमें कांगों से 189, लीबिया से 19 व नाइजीरिया से एक व्यक्ति शामिल था. इनमें 11 लोग मुजफ्फरपुर जिले के भी थे. यहां पहुंचे सभी लोगों की स्वास्थ्य जांच की गयी. साथ ही एक महीने तक उनके स्वास्थ्य में तब्दीली पर भी नजर रखा गयी. हालांकि विभिन्न जिलों में पहुंचने वाले 10 लोगों की पहचान नहीं हो सकी. इस कारण उनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो सका. सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण ने सभी पीएचसी प्रभारियों को सिरदर्द, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा में जलन, उल्टी व डायरिया की शिकायत मिलने पर तत्काल उसके ब्लड सैंपल की जांच का निर्देश दिया है.