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दूसरों को सुख पहुंचाना ही सबसे बड़ा पुण्य : प्रभंजनानंद

प्रह्लादुपुर स्थित श्रीरामकथा यज्ञ में प्रवचन जारी फोटो:::::::::::::मुशहरी. संसाद में दूसरों को सुख पहुंचाना ही सबसे बड़ा पुण्य है और दूसरे को दुख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप. मनुष्य की जो बोली व भाषा है क्षण भर में दूसरों को मित्र बना सकता है और पल भर में दुश्मन. उक्त बातें शनिवार को प्रह्लादुपुर स्थित श्रीरामकथा […]

प्रह्लादुपुर स्थित श्रीरामकथा यज्ञ में प्रवचन जारी फोटो:::::::::::::मुशहरी. संसाद में दूसरों को सुख पहुंचाना ही सबसे बड़ा पुण्य है और दूसरे को दुख पहुंचाना सबसे बड़ा पाप. मनुष्य की जो बोली व भाषा है क्षण भर में दूसरों को मित्र बना सकता है और पल भर में दुश्मन. उक्त बातें शनिवार को प्रह्लादुपुर स्थित श्रीरामकथा यज्ञ में प्रवचन देते हुए स्वामी प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि घाव का नाम सुनकर ही मन अप्रसन्न हो जाता है. बोली का घाव जिंदगी में कभी नहीं भरता, जबकि गोली का घाव भर जाता है. मनुष्य को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को कष्ट हो. उन्होंने कहा कि ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय, औरो को शीतल करे आपहु शीतल होए. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहकर ही मनुष्य एक दूसरे का हित एवं अहित करते हैं. उन पापों का प्रायश्चित इस संसार रूपी स्वर्ग में ही हो जाता है. वहीं रामलील में नारद मोह का मंचन किया गया. जबकि रात्रि में रासलीला में मीराबाई का चरित्र चित्रण किया गया.

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