मुजफ्फरपुर: पॉलीथीन बैग के लगातार बढ़ रहे प्रयोग ने मानव ही नहीं धरती, हवा व पानी को प्रदूषित कर संपूर्ण पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर दिया है. विडंबना है कि इसके खतरे को जानते हुए पढ़े लिखे लोग भी धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे है. शहर में पॉलीथीन का प्रयोग तो जीवन शैली में शुमार हो चुका है.
खाद्य पदार्थ की सामान से लेकर दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले बड़े सामान भी पॉलीथीन में बेचे जा रहे हैं. बाजार के आकलन को माने तो शहर में रोजाना छोटे-बड़े पांच लाख पॉलीथीन की खपत होती है. सब्जी विक्रेताओं से लेकर बड़े किराना दुकानों तक फेरी के तहत बेचा जाता है. यह आज के बाजार की प्रमुख जरूरत है. ग्राहक व दुकानदार दोनों इस जरूरत को जानते हुए पॉलीथीन का उपयोग कर रहे हैं. जबकि इससे होने वाले खतरे लगातार बढ़ रहे हैं.
कैंसरजनक भी है पॉलीथीन
पॉलीथीन से आमजन के साथ जैव समुदाय भी संकट में है. वैज्ञानिकों ने शोध में पॉलीथीन को पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक पाया है. पॉलीथीन के हाइड्रोकार्बन विषैले होने के साथ कैंसरकारक भी हैं.
दरअसल एथिलीन का पालीमर होने की वजह से यह नष्ट नहीं होता. गाय या अन्य कोई पशु जब इसे चारा व खाद्य पदार्थो के साथ निगल जाते हैं तो यह आंत में जमा होकर उन्हें बीमार कर देता है. एथिलीन के विषैले व कैंसरकारक तत्व उसे मृत्यु की स्थिति में पहुंचा देते हैं.
पॉलीथीन से संक्रमित मछली आदि जलीय जीव जब भोज्य पदार्थ के रूप में मानव शरीर में पहुंचते हैं तो उसे भी संक्रमित कर देते हैं. पॉलीथीन, एथिलीन कंपाउंड का समूह है जो मिट्टी, पानी, धूप हवा में अपघिटत नहीं होता. नतीजतन इससे मृदा की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है. पानी में पहुंचने पर यह एथिलीन आक्साइड व कार्बन मोनो आक्साइड आदि जहरीली गैसों से मिल कर जैव समुदाय के लिए खतरे का कारक बन जाता है. इसे जलाने पर वायुमंडल में बेंजीन, एथिलीन आक्साइड की अधिकता हो जाती है, जो मानव जीवन के लिए खतरनाक है.