मुजफ्फरपुर: बिचौलिये पर अंकुश लगाने व गलत अभ्यर्थियों की सेना में बहाली नहीं हो, इसके लिए बहाली प्रक्रिया दिनों-दिन कड़ी की जा रही है. मगर बिचौलिये किसी न किसी माध्यम से बहाली प्रक्रिया में प्रवेश कर सेना के अधिकारियों को चुनौती दे रहे हैं. इस तरह के मामले सबसे अधिक बिहार व झारखंड में मिल रहे हैं. इससे सेना के अधिकारी असमंजस में हैं.
अधिकारी बताते हैं कि भरती कार्यालय को अपने क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जिलों में साल में कम से कम दो बार बहाली के लिए रैली आयोजित करनी है. लेकिन बिहार व झारखंड में फर्जीवाड़ा का सबसे ज्यादा खेल होने के कारण एक बार भी रैली आयोजित करना मुश्किल है. क्योंकि चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच बारीकी से करनी पड़ रही है. इसमें काफी समय लग रहा है. फिर भी बिचौलिये इतने मजबूत है कि किसी न किसी माध्यम से बेरोजगार युवकों को अपने जाल में फंसा उनसे सेना में भरती के नाम पर लाखों रुपये ठगने में सफल हो रहे हैं. एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि अब यदि कोई युवक फर्जीवाड़ा कर सेना में प्रवेश करने की कोशिश करेगा तो यह संभव नहीं है. बहाली की पूरी प्रक्रिया अब कंप्यूटराइज्ड व ऑनलाइन हो गयी है.
रैली के वक्त ही फर्जीवाड़ा का हुआ था भंडाफोड़ : सिकंदरपुर के पंडित नेहरू स्टेडियम में 04-12 फरवरी के बीच चली बहाली के दौरान करीब दो सौ फर्जी युवक पकड़े गये थे. इसमें बिचौलियों ने अपने अभ्यर्थियों को सेटिंग के तहत एक ड्रेस में बहाली में शामिल कराया था. हालांकि, अधिकारियों की तत्परता से दौड़ के बाद भी ऐसे अभ्यर्थियों को पकड़ लिया गया था. इसके बाद लिखित माफी नामा के बाद छोड़ दिया गया. कई अभ्यर्थी ने तो बिचौलिये के नाम भी लिखित रूप में बताये थे. कानूनी पचड़े में फंसने के भय से सैन्य अधिकारी एक भी बिचौलिये पर कार्रवाई करने की कोशिश नहीं की.
सैन्य जवान की हत्या के बाद उठे थे सवाल : काजी मोहम्मदपुर थाना के नया टोला में बहाली प्रक्रिया समाप्त होने के कुछ दिन बाद सेना के एक जवान की गोली मार अपराधियों ने हत्या कर दी थी. तब कई तरह के सवाल उठे थे. परिजनों ने पुलिस को बताया था कि जिस वक्त पंडित नेहरू स्टेडियम में बहाली हो रही थी, उस वक्त जवान से बहाली को लेकर कई युवक मिलने आते थे. जवान बहाली से कुछ दिन पहले ही एक माह की छुट्टी में घर लौटा था. सैन्य अधिकारियों को जब इसकी जानकारी मिली, तब उसके घर पहुंच जांच-पड़ताल भी की थी. हालांकि, अब तक न तो पुलिस जवान के हत्या करने वाले अपराधियों को खोज पायी है और न ही सेना के अधिकारी व खुफिया विभाग ही इसका खुलासा कर पाया है.