मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर शुक्रवार को देश का सबसे अधिक प्रदूषित रहा. देश के 97 शहरों में लगे वायु प्रदूषण मापक यंत्र के रिकॉर्ड के अनुसार शहर की हवा पूरे देश में सबसे अधिक खराब रही. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 418 दर्ज किया गया. हवा में इतने अधिक सूक्ष्म धूल- कण व जहरीले गैसों का मिश्रण दिवाली के समय पटाखों और दीपों के धुएं से हुआ था. उसके बाद पहली बार शहर में ऐसी स्थिति आयी. पटना की स्थिति बेहतर रही.
यहां का एक्यूआई 342 और गया का 155 रहा. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस स्थिति को अत्यंत खराब बताते हुए लोगों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. शहर की हवा की स्थिति पर गौर करें तो जिस दिन धूप निकलती है, उस दिन वायु प्रदूषण का स्तर कम हो जाता है, लेकिन आसमान में बादल छाने के बाद हवा की स्थिति खराब हो जाती है. गुरुवार को धूप निकली थी तो शहर की हवा का एक्यूआई 304 था, लेकिन शुक्रवार को बादल छाने और हल्की बूंदाबांदी होते ही हवा और खराब हो गई.
शहर को बचाने के लिए धरातल पर नहीं योजनाएं
शहर को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए योजनाएं धरातल पर नहीं दिख रही है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद प्रशासनिक स्तर पर हवा को बेहतर करने की शुरुआत तो की गई, लेकिन कुछ दिनों बाद ही प्रदूषण मुक्ति अभियान बंद हो गया. सड़कों पर पानी का छिड़काव, सड़क किनारे बिना ढके बालू-सीमेंट रखने पर रोक और अधिक धुआं छोड़ने वाली गाड़ियों को प्रतिबंधित करने की योजनाएं फिलहाल जमीन पर नहीं दिख रही है. नतीजा हर एक-दो दिन बाद शहर देश के टॉप फाइव प्रदूषित शहरों में आ जाता है.
शहर और एक्यूआई
मुजफ्फरपुर – 418
दिल्ली – 352
वापी – 351
भिवांडी – 350
पटना – 342
नोएडा – 340
ग्रेटर नोएडा – 336
पलवाल – 318
गुरुग्राम – 318
गाजियाबाद – 316
…इधर एनएच किनारे हरियाली पर चल रही कुल्हाड़ी
जल जीवन हरियाली योजना चला कर सरकार जहां वन संपदा को बढ़ाने व बचाने में जुटी हुई है. इसके लिए गांव कस्बे में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. वही दूसरी ओर ऐसे लोग भी है, जो पेड़ को नुकसान करने में परहेज नहीं कर रहे हैं. बानगी के तौर पर हम बात कर रहे मुजफ्फरपुर – दरभंगा( एनएच 57 ) के किनारे लगे पौधे का. सर्दी शुरू होने के साथ आस- पास के लोग पेड़ की टहनी काट रहे हैं. संगम घाट के पास सड़क किनारे लगे पेड़ को देख हैरानी होती है. सर्दी के मौसम में पेड़ों का पतझड़ जैसे हाल है. टहनी व पत्ते तोड कर पेड़ को ठूंठ कर दिया गया है. ग्रामीण बताते हैं कि पिछले साल कुछ पेड़ से इसी तरह टहनी तोड़ दिया गया था. गर्मी आते – आते सभी सूख गये. आस – पास के लोग अलाव के लिए हरा भरा पेड़ काट लेते हैं. इनके आड़ में लकड़ी के कारोबार करने वाले मोटा – मोटा टहनी काट कर बाजार में बेच देते हैं. बता दें कि इस साल वन विभाग ने कुल 88500 पौधा लगाये, वही सड़क निर्माण विभाग ने 54 800 पौधा लगाया. इस तरह इस वित्तीय साल में कुल 96300 पौधे लगाये गये हैं. इनमें करीब 16 हजार पौधा सूख गया है या किसी तरह नष्ट कर दिया गया है.