मुजफ्फरपुर: नोट फॉर वोट मामले में पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी की मुश्किल बढ़ गयी है. विशेष निगरानी कोर्ट के आदेश के बाद उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है.
इस मामले में लोजपा जिलाध्यक्ष शरीफुल हक को भी गिरफ्तार करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है. इन लोगों पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप है. 2007 में मेयर चुनाव के दौरान वोट के बदलने नोट का मामला अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने दर्ज कराया था. इसमें पहले ही एफआइआर दर्ज हो चुकी है. अधिवक्ता सुधीर ओझा ने मामले में एक ऑडियो सीडी कोर्ट में पेश की थी, जिसमें उन्हें धमकाने व केस वापस लेने का आरोप लगाया था. इसकी जांच का निर्देश कोर्ट ने निगरानी एसपी को दिया था.
निगरानी की ओर से कोर्ट में कहा गया, बार-बार कहने के बाद भी आरोपित विजेंद्र चौधरी व शरीफुल हक अपनी आवाज का नमूना देने के लिए निगरानी के दफ्तर नहीं आये हैं. कोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट में निगरानी की ओर से कहा गया है, आरोपितों की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है, जिस वजह से जांच प्रभावित हो रही है. पूरा मामला सुनने के बाद कोर्ट ने इसमें कड़ा रुख अख्तियार किया. विशेष निगरानी जज सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने आदेश में कहा है, जो आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनकी गिरफ्तारी की जाये. साथ ही उन आरोपितों को भी पकड़ा जाये, जो मामले में पेश नहीं हो रहे हैं. साथ ही उन पर भी कार्रवाई की जाये, तो मामले में गवाही देनेवालों को अपने बयान से मुकरने का दबाव बना रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख तीस मई तय की है, जिसमें निगरानी से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की गयी है.
नोट फॉर वोट मामले में मेयर वर्षा सिंह व पूर्व मेयर विमला देवी तुलस्यान समेत 19 पर एफआइआर दर्ज है. इस मामले में विजेंद्र चौधरी का पक्ष जानने की कोशिश की गयी, लेकिन बार-बार फोन करने के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो सका. विजेंद्र चौधरी लोकसभा चुनाव में जदयू के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. मेयर वर्षा सिंह ने पहले मामले में कोर्ट की ओर से दिये गये आदेश की जानकारी नहीं होने की बात कही. इसके बाद कहा, कोर्ट का जो फैसला होगा, उसका सम्मान किया जायेगा.
इस मामले में पहले 25 नामजद व आठ संदिग्धों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, लेकिन जांच के दौरान छह नामजद व आठ संदिग्धों का नाम मामले से हटा दिया गया. इसके बाद 19 आरोपित बचे हैं.
इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए पूर्व मेयर विमला देवी ने अर्जी दी थी. जो सुनवाई के दौरान खारिज हो गयी थी. वहीं, शुक्रवार जब ये फैसला आया तब से जिले के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर चल रहा है. लोग फैसले को अपने-अपने नजरिये से देख रहे हैं. साथ ही आगे क्या कार्रवाई होगी इस पर भी नजर रखे हैं.