1973 से अगस्त 1975 तक विवि में 58 लोगों की बहाली प्रयोग प्रदर्शक के रूप में हुई थी. उस समय विवि में बहाली की तीन शर्ते थी. पद की स्वीकृति 01 जनवरी 1973 से पूर्व मिल चुकी हो, विवि सेवा आयोग की मंजूरी प्राप्त हो व बहाली 18 सितंबर 1975 से पूर्व हुई हो. प्रयोग प्रदर्शकों की बहाली में सिर्फ एक शर्त (बहाली की अंतिम तिथि) पूरा हो रहा था. इस आधार पर सरकार ने इसकी बहाली को नामंजूर कर दिया. बाद में यह मामला राजभवन गया, जहां इन सभी की नियुक्ति की संपुष्टि कर दी गयी.
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लेक्चरर व रीडर को मिलेगा शिक्षकेत्तर कर्मचारी का स्केल!
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में करीब दर्जन भर शिक्षकों पर अवनति का खतरा मंडरा रहा है. यह वे शिक्षक हैं, जिनकी नियुक्ति प्रयोग प्रदर्शक के रूप में हुई थी. बाद में प्रोन्नति पाकर ये सभी लेक्चरर व रीडर बन गये. राज्य सरकार के वेतन सत्यापन कोषांग ने इनकी प्रोन्नति को गलत बताते हुए इन्हें लेक्चरर […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में करीब दर्जन भर शिक्षकों पर अवनति का खतरा मंडरा रहा है. यह वे शिक्षक हैं, जिनकी नियुक्ति प्रयोग प्रदर्शक के रूप में हुई थी. बाद में प्रोन्नति पाकर ये सभी लेक्चरर व रीडर बन गये. राज्य सरकार के वेतन सत्यापन कोषांग ने इनकी प्रोन्नति को गलत बताते हुए इन्हें लेक्चरर व रीडर नहीं शिक्षकेतर कर्मचारी मान कर वेतन भुगतान का आदेश दिया है.
वेतन सत्यापन में फंसा पेच
राजभवन से हरी झंडी मिलने के बाद सभी प्रयोग प्रदर्शक की बहाली को सही मान लिया गया. इस आधार पर इन सभी को बाद में प्रोन्नति भी मिली. कई लेक्चरर व कई रीडर बन गये. लेकिन पिछले दिनों राज्य सरकार सभी शिक्षकों के वेतन का सत्यापन वेतन सत्यापन कोषांग से कराने का फैसला लिया. सत्यापन के दौरान कई अध्यापकों की प्रोन्नति को अवैध ठहरा दिया गया.
उनका तर्क है कि ये सभी बहाली की तीन में से महज एक शर्त ही पूरा करते हैं. विवि में नियमित कर्मचारी की बहाली की आखिरी तिथि 15 अगस्त 1976 थी. ऐसे में वेतन सत्यापन कोषांग ने इन सभी को इसी श्रेणी में रखने का आदेश दिया है.
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