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पार्षदों ने उठाया सवाल: स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव में 960 एकड़ हिस्सा ही क्यों, आधा शहर ही क्यों बनेगा स्मार्ट

मुजफ्फरपुर: लगातार दो बार छंटने के बाद स्मार्ट सिटी के तीसरे राउंड में अपना शहर कैसे चयनित हुआ है? शहर स्मार्ट सिटी में कैसे बदल जायेगा? इस संबंध में नगर विधायक सुरेश शर्मा व डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला की मौजूदगी में गुरुवार को पार्षदों को बताया गया. इसके लिए नगर निगम के मीटिंग हॉल में […]

मुजफ्फरपुर: लगातार दो बार छंटने के बाद स्मार्ट सिटी के तीसरे राउंड में अपना शहर कैसे चयनित हुआ है? शहर स्मार्ट सिटी में कैसे बदल जायेगा? इस संबंध में नगर विधायक सुरेश शर्मा व डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला की मौजूदगी में गुरुवार को पार्षदों को बताया गया. इसके लिए नगर निगम के मीटिंग हॉल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था.

प्रपोजल तैयार करनेवाली कंसल्टिंग एजेंसी इकोराइज के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिजीत कुमार ने प्रोजेक्टर पर स्मार्ट सिटी के प्रस्ताव को दिखा एक-एक प्वाइंट्स को बताया. हालांकि, पहले पांच साल में शहर के मात्र 990 एकड़ में शहरी क्षेत्र को 1580 करोड़ रुपये खर्च कर स्मार्ट बनाने पर ज्यादातर पार्षदों ने सवाल खड़ा कर दिया. कुछ पार्षदों ने खुले रूप से इसका विरोध कर दिया.

कहा कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद टैक्स से लेकर हर तरह का बोझ पूरे शहर के लोगों पर पड़ेगा. फिर एक खास इलाका बैरिया से ब्रह्मपुरा, सिकंदरपुर मन, कंपनीबाग, जूरनछपरा, स्टेशन रोड, मोतीझील से कल्याणी तक को ही क्यों स्मार्ट बनाया जा रहा है. स्मार्ट सिटी के तहत जो राशि मिलेगी, वह राशि इसी क्षेत्र के विकास पर खर्च होगी. इस परिस्थिति में एक समान शहर का कैसे विकास हो सकता है‍? हालांकि, नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन व विधायक सुरेश शर्मा ने जब स्थिति स्पष्ट की, तो पार्षद शांत हो गये. नगर विधायक ने कहा कि प्रपोजल न्यूनतम 500 एकड़ व अधिकतम 1000 एकड़ शहरी क्षेत्र को ही ध्यान में रख तैयार करना था. इसलिए ऐसा किया गया है. दूसरे फेज में शेष इलाके का प्रस्ताव बनाया जायेगा.

मेयर समेत उनके खेमे के पार्षद नहीं थे मौजूद : स्मार्ट सिटी की कार्यशाला में भी राजनीति देखने को मिली. मेयर व उनके खेमे के पार्षद कार्यशाला से नदारद रहे. हालांकि, दिन में जब कार्यशाला बुलाने की योजना बनी थी, उस वक्त मेयर सुरेश कुमार व कुछ पार्षद निगम में ही थे. कार्यशाला में शामिल नहीं होने के सवाल पर मेयर ने कहा कि दोपहर दो बजे तक वे निगम में थे, लेकिन किसी ने कार्यशाला की सूचना नहीं दी. स्मार्ट सिटी हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है. सूचना होती, तो हम भी उसमें शामिल होते. वे इस मुद्दे पर नगर आयुक्त से बात करेंगे कि उन्हें क्यों नहीं कार्यशाला की सूचना दी गयी. पार्षद राकेश कुमार सिन्हा पप्पू ने कार्यशाला की सूचना नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की. कहा कि जिसने भी कार्यशाला बुलायी, उसे प्रॉपर तरीके से पार्षदों को सूचना देनी चाहिए. पप्पू ने विधायक पर जमकर निशाना साधा.

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