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हरि इलेक्ट्रॉनिक्स सेवा में त्रुटि व लापरवाही के लिए दोषी

मुंगेर : मुंगेर जिला उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने शहर के गुलजार पोखर स्थित हरि इलेक्ट्रॉनिक्स को सेवा में त्रुटि व लापरवाही के लिए दोषी करार दिया है. वाद संख्या 44/12 में सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम न्यायालय ने दुकानदार को एसी व वाटर प्यूरीफाइड की कुल कीमत 23,500 सहित इस राशि का 9 प्रतिशत वार्षिक […]

मुंगेर : मुंगेर जिला उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय ने शहर के गुलजार पोखर स्थित हरि इलेक्ट्रॉनिक्स को सेवा में त्रुटि व लापरवाही के लिए दोषी करार दिया है. वाद संख्या 44/12 में सुनवाई करते हुए उपभोक्ता फोरम न्यायालय ने दुकानदार को एसी व वाटर प्यूरीफाइड की कुल कीमत 23,500 सहित इस राशि का 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि भुगतान करने तथा विधि खर्च के रूप में पांच हजार रुपये भुगतान का आदेश दिया है. इस मामले में परिवादी की ओर से अधिवक्ता कुमार अवधेश नारायण एवं विपक्षी की ओर से चंदन कुमार गुप्ता ने बहस में भाग लिया.

पिछले पांच वर्षों से जिला उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय में चल रहे वाद संख्या 44/12 में सुनवाई करते हुए उपभोक्ता संरक्षण फोरम के न्यायिक सदस्य डॉ शबनम आभा एवं दिलशाद खुर्रम ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में जहां हरि इलेक्ट्रॉनिक्स को उपभोक्ता सेवा में त्रुटि व लापरवाह बताया. वहीं मामले में निर्णय देते हुए कहा कि परिवादी द्वारा उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठान से खरीदे गये एसी व वाटर प्यूरीफाइड को परिवादी के घर स्टॉल करना उनकी जिम्मेदारी थी.
लेकिन उसने जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. परिवादी रघुनंदन प्रसाद सिंह का कहना था कि 1 जुलाई 2011 को उन्होंने हरि इलेक्ट्रॉनिक्स से एसी, वाटर प्यूरीफाइड, टीवी व फ्रीज की खरीदारी की थी. किंतु एसी व वाटर प्यूरीफाइड को उनके घर स्टॉल नहीं किया गया. जबकि समान खरीदते समय विक्रेता ने कहा था कि उनके घर कंपनी का आदमी का जाकर उसे स्टॉल कर देगा. इस संदर्भ में वे बार-बार उनके दुकान पर जाकर अनुरोध किया बावजूद उनके घर एसी व प्यूरीफाइड मशीन को नहीं लगाया. फलत: बाध्य होकर उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय का शरण लेना पड़ा. फोरम ने अपने आदेश में कहा है कि एसी व वाटर प्यूरीफाइड के कुल 23,500 राशि का भुगतान 1 जुलाई 2011 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी को किया जाय. साथ ही विपक्षी विधि खर्च के रूप में परिवादी को 5 हजार रुपये का भी भुगतान करें. फोरम ने 45 दिनों के अंदर इस मामले में भुगतान का आदेश दिया है.

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