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धक्के से भी स्टार्ट नहीं होती सदर अस्पताल की एंबुलेंस

एंबुलेंस में धक्का लगाते कर्मी. बदहाली सरकारी एंबुलेंस हो चुका है बीमार, इलाज के लिए मरीजों को लेना पड़ रहा निजी एंबुलेंस का सहारा मुंगेर : ‘हाथी मेरे साथी’ हिन्दी फिल्म का एक गाना है ‘ चल यार धक्का मार, बंद है मोटरकार’. यह गाना इन दिनों सदर अस्पताल में सटीक बैठ रहा है़ जहां […]

एंबुलेंस में धक्का लगाते कर्मी.

बदहाली
सरकारी एंबुलेंस हो चुका है बीमार, इलाज के लिए मरीजों को लेना पड़ रहा निजी एंबुलेंस का सहारा
मुंगेर : ‘हाथी मेरे साथी’ हिन्दी फिल्म का एक गाना है ‘ चल यार धक्का मार, बंद है मोटरकार’. यह गाना इन दिनों सदर अस्पताल में सटीक बैठ रहा है़ जहां एंबुलेंस को स्टार्ट करने के लिए धक्का लगाना पड़ता है़ किस्मत ने साथ दे दिया तो वाहन स्टार्ट हो जाता है, वर्ना रेफर मरीजों को इलाज के लिए निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है़ बुधवार को भी एक मरीज के साथ ऐसा ही हुआ़
शहर के पूरबसराय निवासी अंकित कुमार के नवजात भतीजे की हालत गंभीर होने के कारण चिकित्सक ने उसे बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया़ इसके बाद वह 102 नंबर के एंबुलेंस के चालक को भागलपुर जाने का अाग्रह करने लगा़ चालक जाने को तैयार तो हो गया, किंतु उन्होंने कहा कि इसे स्टार्ट करने के लिए धक्का लगाना पड़ेगा़ अंकित ने तीन-चार लोगों से एंबुलेंस में धक्का मारने में सहयोग करने को कहा और स्वयं भी धक्का देने लगा़ काफी देर तक धक्का देने के बाद भी जब एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुआ तो अंकित काफी मायूस हो गया़ नवजात के इलाज में हो रहे देरी को ध्यान में रखते हुए उसे अंत में एक निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ा़ अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे न तो दूसरा एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया और न ही कोई वैकल्पिक सुविधा ही दी गयी़
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं है़ मामले की छानबीन की जायेगी़

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