रिक्शा पर मृत युवक के पास विलाप करते परिजन.
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नहीं मिला शव वाहन रिक्शा से ले जाना पड़ा शव
रिक्शा पर मृत युवक के पास विलाप करते परिजन. विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ा शव वाहन, सुविधा से महरूम हो रहे हैं जरूरतमंद मुंगेर : सदर अस्पताल में आम जनों को मिलने वाली सुविधाएं लगातार कुव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रही है़ इलाज के लिए आने वाले मरीज हों या फिर मृतक के शव को ले […]
विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ा शव वाहन, सुविधा से महरूम हो रहे हैं जरूरतमंद
मुंगेर : सदर अस्पताल में आम जनों को मिलने वाली सुविधाएं लगातार कुव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रही है़ इलाज के लिए आने वाले मरीज हों या फिर मृतक के शव को ले जाने की बात हो, हर मामले में अस्पताल प्रबंधन लापरवाह बनी हुई है. फलत: बार-बार मानवता भी शर्मसार हो रही. शनिवार को सदर अस्पताल में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गयी. किंतु मृत युवक के शव को ले जाने के लिए न तो यहां एंबुलेंस उपलब्ध करायी गयी और न ही शव वाहन. फलत: रिक्शा पर ही परिजनों को शव घर ले जाना पड़ा.
आठ महीने से ठप है शव वाहन की सुविधा
वैसे तो सदर अस्पताल में 1099 का एक शव वाहन उपलब्ध है, जिसमें सारी सुविधा उपलब्ध करायी गयी है़ किंतु पिछले अप्रैल 2016 से इसके कर्मी हड़ताल पर हैं.
जिसके कारण लगभग आठ महीने से अस्पताल में शव वाहन की सुविधा पूरी तरह ठप है़ हालांकि कई बार ऐसा देखा गया है कि शव को ले जाने के लिए 102 नंबर के एंबुलेंस को भी उपलब्ध कराया जाता है़ लेकिन शनिवार को सुनील के शव को ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने 102 नंबर का एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया़ जिसके कारण एक गरीब परिवार को शव ले जाने के लिए रिक्शा का सहारा लेना पड़ा़ जबकि दूसरी ओर यहां एंबुलेंस से बेबी कीट व दवा ढोयी जाती है. इसी तरह कई बार कइयों के साथ ऐसा हो चुका है.
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि शव वाहन के सभी कर्मी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण अस्पताल द्वारा शव ले जाने के लिए परिजनों को सुविधा नहीं मिल पायी.
दो घंटे तक एंबुलेंस का होता रहा इंतजार
जमालपुर प्रखंड के हलीमपुर निवासी रामदेव मंडल का पुत्र सुनील मंडल की शनिवार को अचानक तबीयत बिगड़ गयी़ उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया़ किंतु इलाज के दौरान ही सुनील की मौत हो गयी़ सुनील की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस की मांग की जिस पर प्रबंधन द्वारा परिजनों को बताया गया कि शव वाहन के कर्मी हड़ताल पर हैं
तथा 102 नंबर का एंबुलेंस सिर्फ मरीजों को ढ़ोने के लिए है़ इसलिए शव ले जाने के लिए खुद ही निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करनी होगी़ मृतक के पिता रामदेव मंडल ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है, जिसके कारण वे निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करने में असमर्थ है़ दो घंटे तक इंतजार के बाद अंतत: रिक्शा पर रख कर शव को ले जाना पड़ा.
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