मुंगेर : सदर अस्पताल की व्यवस्था को 24 घंटे सुव्यस्थित रखने एवं निगरानी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल परिसर में ही उपाधीक्षक के आवासन की व्यवस्था की है. लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल में वर्षों से पदस्थापित उपाधीक्षक अपने आवास में नहीं रहते. फलत: रात के समय जहां व्यवस्था बदहाल रहती है.
वहीं जरूरत पड़ने पर अस्पताल उपाधीक्षक उपलब्ध भी नहीं हो पाते. दफ्तर के कार्य तक ही सीमित हैं डीएसअस्पताल उपाधीक्षक को अपने दफ्तर के कार्यों के अलावे पूरे अस्पताल पर 24 घंटे नजर रखे जाने का प्रावधान है. किंतु वे कार्यालय अवधि में ही अपने दफ्तर पहुंचते हैं तथा कार्यालय अवधि समाप्त होते ही वे अपने निजी आवास को प्रस्थान कर जाते हैं. ऐसा तब से हो रहा है, जब से डॉ राकेश कुमार सिन्हा सदर अस्पताल के डीएस बने हैं.
फलत: अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था पर उपाधीक्षक की सीधी निगरानी नहीं हो पाती. खासकर रात्रि के समय जब रोगी या उसके परिजन को कोई विकट समस्या उत्पन्न होती है तो उपाधीक्षक महोदय उपलब्ध भी नहीं होते. आवास का नहीं हो रहा उपयोगअस्पताल उपाधीक्षक के सरकारी आवास में नहीं रहने के कारण पिछले डेढ़ साल से आवास खाली पड़ा हुआ है.
मालूम हो कि यह आवास काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इसमें न तो अस्पताल उपाधीक्षक रहते हैं और न ही इस आवास का उपयोग किसी अन्य गतिविधियों में लाया जा रहा है.
जिसके कारण रखरखाव के अभाव में दिन- प्रतिदिन यह आवास अपनी गुणवत्ता खोते जा रही है.छात्राओं को दे दिया गया है आवासहाल ही में अस्पताल उपाधीक्षक का आवास एएनएम छात्राओं को रहने के लिए दे दिया गया है. जो कि अगले चार महीने तक इसी आवास में रहेगी. मालूम हो कि छात्राओं के लिए एएनएम स्कूल का छात्रावास ही काफी है.
बावजूद उपाधीक्षक ने अपना सरकारी आवास छात्राओं को दे दिया है. इससे पूर्व अस्पताल उपाधीक्षक का कहना था कि आवास जर्जर हो जाने के कारण वे सरकारी आवास में नहीं रह रहे हैं. किंतु जर्जर आवास में छात्राओं को रहने का इजाजत उन्होंने कैसे दे दी. जबकि छात्राओं के रहने के लिए एएनएम स्कूल का भवन ही पर्याप्त है.
कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि उन्होंने अस्पताल उपाधीक्षक को सरकारी आवास में ही रहने का निर्देश दिया है. वे किस कारण से आवास में नहीं रह रहे हैं ये वे ही बेहतर बता सकते हैं.