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पुरजा कटता कहीं और इलाज व दवा की व्यवस्था कहीं और

मुंगेर : सदर अस्पताल में इन दिनों शिशु रोगी के परिजनों की परेशानियां काफी बढ़ गयी है. अस्पताल पहुंचने पर मरीज के परिजनों को पुरजा कटाने, इलाज कराने व दवा लेने के लिए अलग-अलग विभागों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. जिसके कारण उनकी परेशानी काफी बढ़ गयी है. किंतु अस्पताल प्रबंधन को इसकी शायद […]

मुंगेर : सदर अस्पताल में इन दिनों शिशु रोगी के परिजनों की परेशानियां काफी बढ़ गयी है. अस्पताल पहुंचने पर मरीज के परिजनों को पुरजा कटाने, इलाज कराने व दवा लेने के लिए अलग-अलग विभागों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. जिसके कारण उनकी परेशानी काफी बढ़ गयी है.

किंतु अस्पताल प्रबंधन को इसकी शायद कोई परवाह नहीं है.एक माह पूर्व शिशु वार्ड महिला मेडिकल वार्ड के भवन में ही संचालित होता था. जहां एक ही जगह पर पुरजा कटाने, इलाज कराने व दवा लेने की व्यवस्था थी. किंतु अब शिशु वार्ड को आई हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है जो पूर्व के स्थान से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित है. वहां इलाज कराने से पहले इमरजेंसी वार्ड के पीछे मरीजों का पुरजा बनवाना पड़ता है.

इलाज कराने के बाद फिर मरीज के परिजनों को दवा के लिए इमरजेंसी वार्ड के पास ही आना पड़ता है. जिसके कारण मरीजों के परिजन काफी परेशान हो जाते हैं. कहते हैं मरीज के परिजनबिंदवारा नवटोलिया निवासी ममता देवी, सिंघिया निवासी बेबी देवी, संदलपुर निवासी कंचन देवी, गौरीपुर निवासी रिंकू देवी ने बताया कि बिना कोई कारण के ही अस्पताल प्रबंधन द्वारा शिशु वार्ड को आई हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया. जिसके कारण कई मरीजों को वार्ड खोजने में ही आधे घंटे का समय बीत जाता है.

कभी-कभी तो पुरजा बनवा कर वार्ड पहुंचते-पहुंचते ही डॉक्टर साहब निकल गये होते हैं. जिसके कारण बिना इलाज कराये ही वापस घर लौट जाना पड़ता है.झाडि़यों के बीच चल रहा शिशु वार्डएक तो शिशु वार्ड को अस्पताल से काफी दूर कर दिया गया है. वहीं दूसरी ओर झाडि़यों के बीच वार्ड का संचालन किया जा रहा है जो काफी जोखिम भरा है. सर्वविदित है कि झाडि़यों में सांप-बिच्छू व अन्य जहरीले कीड़े-मकोड़े का वास रहता है. जो कभी भी वार्ड में प्रवेश कर चिकित्सक व मरीजों को हानि पहुंचा सकता है.

बावजूद उसकी सफाई किये बगैर यहां पर शिशु वार्ड का संचालन किया जा रहा है.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षकअस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने मरीजों के परिजन को होने वाली परेशानियों की बात को स्वीकारते हुए कहा कि वहां पर एसएनसीयू रहने के कारण ही शिशु वार्ड को आई हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है.

इलाज के दौरान यदि नवजात शिशुओं को भरती भी करना पड़े तो बगल के एसएनसीयू में उन्हें भरती कर लिया जायेगा. वार्ड के पीछे के झाड़-जंगल को शीघ्र ही साफ करवा दिया जायेगा.

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