मुंगेर सदर : उन्होंने बताया कि मनियारचक गांव एक दशक से उपेक्षा का दंश झेल रहा है. चुनाव के समय अलग-अलग दलों के नेता लुभावनी भाषण देकर हमलोगों से वोट लेकर चले जाते हैं
उसके बाद पलट कर देखने तक नहीं आते हैं. पिछले दस वर्षों से गंगा कटाव के कारण यहां के 500 परिवार विस्थापित होकर सड़क किनारे झुग्गी में रहने को विवश हैं.
वर्ष 2006 में बाढ़ के समय विस्थापितों से मिलने के लिए क्षेत्र के विधायक, सांसद एवं जिले के आलाधिकारी आये थे. सबों ने यह आश्वासन दिया था कि विस्थापितों को तीन डिसमिल जमीन उपलब्ध कराया जायेगा. किंतु विस्थापितों को अबतक तीन डिसमिल जमीन उपलब्ध नहीं कराया गया है.
उन्होंने बताया कि मनियारचक शिल्हा गांव के लगभग 200 परिवार विद्युत आपूर्ति से वंचित हैं. विभाग द्वारा तनिक भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. साथ ही मनियारचक शिल्हा व खरबा तक संपर्क पथ नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को भारी फजीहतों का सामना करना पड़ता है. वहीं पीर स्थान मनियारचक से महेशपुर गांव तक पथ का निर्माण नहीं होने से बरसात के दिनों में काफी कठिनाई होती है.
विरोध प्रदर्शन में शामिल कई बुजुर्गों का कहना था कि वे लोग प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक गये. किंतु उन्हें वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिला. ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उक्त मांगें पूरी नहीं की जाती है तब तक वे लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे. मौके पर रमेश वर्मा, विजय मंडल, पशुपति मंडल, चरित्र पासवान, ओमप्रकाश वर्मा, भोगी पासवान, दयानंद मंडल, कृष्णमोहन शर्मा, तूफानी मंडल, मुकेश प्रसाद वर्मा सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे.