मुंगेर. बीआर महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत आयोजित विशेष समर कैंप के तीसरे दिन पर्यावरण संरक्षण विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. उसके मुख्य अतिथि टीएनबी कॉलेज भागलपुर के प्राध्यापक एवं शिक्षाविद डॉ फारुख अली ने कहा कि जीवन की रक्षा के लिए जल, जमीन, जंगल, जानवर के बीच समन्वय बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि धरती का जलचक्र बिगड़ने का दुष्परिणाम भू-गर्भीय जल स्तर का अप्रत्याशित रूप से गिरना है. उन्होंने बताया कि दर्द निवारक दवाओं में डायक्लोफ्लेम बहुत ही खतरनाक है. सभ्यता का विकास नदियों के तट से हुआ है. डॉ अली ने कहा कि बिहार में जनसंख्या का घनत्व सबसे अधिक है. इसलिए जरूरी है कि जल, जंगल और जमीन का संरक्षण बेहतर ढंग से हो. उन्होंने कहा कि फरक्का बैराज बनने से गंगा की गहराई कम हो गयी है और गंगा का प्रवाह बाधित होने से समस्याएं जटिल हुई है. बीआरएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ एमए नियाजी ने पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपक कुमार दिनकर ने किया. इस मौके पर एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने सामूहिक योगाभ्यास किया और कॉलेज परिसर स्थित गार्डन की साफ-सफाई, फूल-पत्तियों की सिंचाई की. मौके पर एचआइवी एड्स से सुरक्षा और रोकथाम के लिए पोस्टर प्रदर्शनी भी लगायी गयी. इस अवसर पर अर्थशास्त्र के शिक्षक डॉ प्रकाश कुमार, साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय मुख्य रूप से मौजूद थे.
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मानव जीवन के लिए जल, जंगल व जमीन में समन्वय जरूरी
मुंगेर. बीआर महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत आयोजित विशेष समर कैंप के तीसरे दिन पर्यावरण संरक्षण विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. उसके मुख्य अतिथि टीएनबी कॉलेज भागलपुर के प्राध्यापक एवं शिक्षाविद डॉ फारुख अली ने कहा कि जीवन की रक्षा के लिए जल, जमीन, जंगल, जानवर के बीच समन्वय बेहद […]
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