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लागत से कम आमदनी होेने पर किसानों ने की भिंडी के खेत में जुताई

प्रतिनिधि : बरियारपुर धरती पुत्र किसानों की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. कभी बाढ़ फसल बहा ले जाती है तो कभी सुखाड़ फसल को नष्ट कर देती है. कभी बेमौसम आंधी, बारिश और ओलावृष्टि फसल को बरबाद कर दे रही है तो कभी सिंचाई के अभाव में फसल खत्म हो जाती है. […]

प्रतिनिधि : बरियारपुर धरती पुत्र किसानों की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है. कभी बाढ़ फसल बहा ले जाती है तो कभी सुखाड़ फसल को नष्ट कर देती है. कभी बेमौसम आंधी, बारिश और ओलावृष्टि फसल को बरबाद कर दे रही है तो कभी सिंचाई के अभाव में फसल खत्म हो जाती है. इतना ही नहीं लागत के अनुपात में आमदनी नहीं होने पर लहलहाती फसल को किसान स्वयं ही नष्ट कर देते हैं. बरियारपुर प्रखंड के किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है. किसानों ने मेहनत कर भिंडी का फसल लगाया. जब भिंडी उपजने लगी तो उसके मूल्य में काफी कमी हो गयी. आमदनी से अधिक खर्च देख कर किसान भिंडी की फसल वाले खेत में जुताई कर उसे नष्ट कर रहे हैं. किसान अरुण गुप्ता, वकील मंडल, अवधेश मंडल, बबलू मंडल, मृत्युंजय शर्मा, राजकुमार मंडल ने बताया कि भिंडी की फसल में लागत के अनुसार आमदनी नहीं होने के कारण वह लहलहाते फसलों की जुताई करवा रहे हैं. किसानों ने बताया कि प्रति एकड़ भिंडी की फसल के लिए कोरयोनी में एक हजार रुपये, कीटनाशक में 500 रुपये एवं मजदूरी में 600 रुपये की लागत प्रति सप्ताह आती है. जिसके एवज में प्रति सप्ताह तीन क्विंटल भिंडी टूटती है. जिसे व्यापारी प्रति क्विंटल 600 रुपये खरीदते हैं. लागत से कम आमदनी होने पर किस प्रकार भिंडी की खेती किसान करेंगे. इसलिए फसल वाले खेत की जुताई हमलोग करवा रहे है.

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