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भगवान कृष्ण कहते है जिसे पकड़ लेता हूं उसे छोड़ता नहीं…

फोटो संख्या : 3फोटो कैप्सन : प्रवचन करते स्वामी किशोरी शरण प्रतिनिधि , मुंगेर आपदा संकट निवारण एवं विश्व शांति के लिए उत्तर वाहिनी गंगा तट स्थित प्रेमकुंज बबुआघाट में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालु नर नारियों की भीड़ उमड़ती रही. भगवान कृष्ण के अवतरण की कथा सुन कर श्रद्धालु मंत्र […]

फोटो संख्या : 3फोटो कैप्सन : प्रवचन करते स्वामी किशोरी शरण प्रतिनिधि , मुंगेर आपदा संकट निवारण एवं विश्व शांति के लिए उत्तर वाहिनी गंगा तट स्थित प्रेमकुंज बबुआघाट में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालु नर नारियों की भीड़ उमड़ती रही. भगवान कृष्ण के अवतरण की कथा सुन कर श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गये. कथावाचक स्वामी किशोरी शरण जी महाराज ने कृष्ण की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण के अवतरण से नंद महाराज का घर आनंद से भर गया. उसी आनंद के बीच पुतना का आगमन होता है. पुतना अपने स्वरूप को सुंदर बनाती है. लेकिन अपने अंदर की कुरुपता को नहीं त्यागती है. पुतना जैसे ही कृष्ण को अपने छाती से लगाती है. भगवान कृष्ण अपनी आंखें बंद कर लेते हैं. जिसका अलग-अलग अर्थ बताया जाता है. उन्होंने कहा कि एक ने कहा कि भगवान कृष्ण मायापति है और पुतना मायावी. अगर कृष्ण आंखें खोल कर देख लेते तो पुतना का माया फट जाता. अत: कृष्ण ने आंखें बंद कर ली. दूसरे कहते हैं कि कृष्ण पुतना के अंत: कुरुपता को देख कर डर जाते हैं. इसलिए कृष्ण ने आंखें बंद कर ली तो कोई कहते कि कृष्ण जान जाते हैं कि पुतना ने छाती में जहर भर लिया है. जहर पीना कृष्ण का काम नहीं है. विषपाणी तो भगवान शंकर है. अत: कृष्ण आंखें बंद कर भगवान शंकर का आह्वान कर रहे हैं कि शिव आओ मैं दूध पियूंगा और तुम विषपान कर लेना. तृणावर्त बार-बार कहता है कि मुझे छोड़ दो. भगवान कृष्ण कहते हैं कि जिसे पकड़ लेता हूं, उसे छोड़ता नहीं हूं चाहे वह भक्त हो या शत्रु. तृणावर्त मारा जाता है. मौके पर महंत आनंद बिहारी दास, संत कवि विजेता मुदगलपुरी सहित अन्य मौजूद थे.

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