फोटो संख्या : 23फोटो कैप्सन : प्रवचन करते बाबा प्रतिनिधि , बरियारपुर महर्षि मेंहीं संतमत सत्संग ध्यान वाटिका ब्रह्मस्थान बरियारपुर में सरस्वती पूजा के अवसर पर सत्संग आयोजित किया गया. मुख्य प्रवचनकर्ता के रुप में रतन बाबा महाराज उर्फ स्वामी रत्नेश्वरानंद महाराज मौजूद थे. रतन बाबा महाराज ने अपने भक्तों को प्रवचन में विशेष रुप से सरस्वती मां के बारे में जानकारी दिये. उन्होंने कहा संतमत आंतरिक साधना का मत है. शरीर के एक भाग में इरा, दूसरे भाग में पिंगला और बीच में सुखमना नारी बसती है. सुखमना को ही सरस्ती की धारा कहा जाता है. गहरे साधना में जब इरा और पिंगला सम हो जाती है तो सुखमना का उदय होता है. यहीं पर साधक स्थुल संसार से सुक्ष्म संसार में प्रवेश कर जाता है. इस प्रकार सरस्वती पूजा सफलतापूर्वक करने पर दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है. अंधकार मंडल से ऊपर उठकर प्रकाश मंडल में प्रवेश पाता है. फिर उसके सामने यह स्थुल संसार ठीक वैसा ही हो जाता है जैसा कि सपने में हम विभिन्न प्रकार के दृष्टि को देखते है. उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति अगर श्रद्धा नहीं है तो पूजा विफल होगा. जो धैर्यवान है उन्हीं की पूजा सफल होगी. मौके पर देवी शर्मा, सीताराम पासवान, डॉ सुरेश प्रसाद साह, कैलाश मंडल, लालु पासवान, कमल मौजूद थे.
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मां सरस्वती की पूजा करने से होती है दिव्य दृष्टि की प्राप्ति
फोटो संख्या : 23फोटो कैप्सन : प्रवचन करते बाबा प्रतिनिधि , बरियारपुर महर्षि मेंहीं संतमत सत्संग ध्यान वाटिका ब्रह्मस्थान बरियारपुर में सरस्वती पूजा के अवसर पर सत्संग आयोजित किया गया. मुख्य प्रवचनकर्ता के रुप में रतन बाबा महाराज उर्फ स्वामी रत्नेश्वरानंद महाराज मौजूद थे. रतन बाबा महाराज ने अपने भक्तों को प्रवचन में विशेष रुप […]
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