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निजी क्लिनिक में भेजते हैं मरीज को

लापरवाही. मामला घोघरडीहा पीएचसी प्रभारी का पीएचसी में नहीं होता प्रसव जांच रिपोर्ट में सामने आया मामला, सीएस ने दी चेतावनी बिना अनुज्ञप्ति वाले निजी क्लिनिक संचालक पर होगी कार्रवाई मधुबनी : घोघरडीहा पीएचसी में मरीजों की प्रसव चिकित्सकों द्वारा नहीं करायी जाती है. यहां पर आने वाले मरीजों को पीएचसी प्रभारी ही निजी क्लिनिक […]

लापरवाही. मामला घोघरडीहा पीएचसी प्रभारी का

पीएचसी में नहीं होता प्रसव
जांच रिपोर्ट में सामने आया मामला, सीएस ने दी चेतावनी
बिना अनुज्ञप्ति वाले निजी क्लिनिक संचालक पर होगी कार्रवाई
मधुबनी : घोघरडीहा पीएचसी में मरीजों की प्रसव चिकित्सकों द्वारा नहीं करायी जाती है. यहां पर आने वाले मरीजों को पीएचसी प्रभारी ही निजी क्लिनिक में प्रसव के लिये रेफर कर देते हैं. जहां पर इन मरीजों का आर्थिक शोषण किया जाता है. इस बात का खुलासा सीएस द्वारा गठित जांच टीम के रिपोर्ट में हुइ है. अब इस मामले को सीएस ने गंभीरता से लिया है. सीएस डाॅ अमरनाथ झा ने ना सिर्फ प्रखंड के संबंधित निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं
. साथ ही पीएचसी प्रभारी को भी कई प्रकार की चेतावनी दी है. दरअसल जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि पीएचसी प्रभारी खुद अपना एक निजी नर्सिंग होम चलाते हैं साथ ही स्थानीय दो निजी नर्सिंग होम के साथ भी इनकी सांठ गांड है. जिस कारण पीएचसी में प्रसव को आने वाली महिलाओं को बेहतर इलाज की बात कह संबंधित निजी नर्सिंग होम में भेज दिया जाता है.
क्या है मामला. घोघरडीहा प्रखंड बीस सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार मंडल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घोघरडीहा में डाॅक्टर, आशा तथा निजी नर्सिंग होम द्वारा मरीजों के साथ आर्थिक दोहन किये जाने संबंधी परिवाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां दायर किया गया था. परिवाद के आलोक में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन से इस बावत जांच प्रतिवेदन की मांग किया गया.
तीन सदस्यीय टीम ने की जांच. परिवाद के आलोक में सिविल सर्जन द्वारा तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया. जिसमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जिला प्रतिरक्षण दल डा. सीके सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (आइडीएसपी) डाॅ निशांत कुमार शामिल रहे.
प्रभारी को लगायी फटकार. जांच दल द्वारा जांच क्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ करण कुमार को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया गया कि मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार करते हुए प्रसव कक्ष में अप्रशिक्षित एएनएम को प्रसव कार्य में नहीं लगाया जाय तथा सभी मरीजों को जांच चिकित्सक के द्वारा ही कराया जाय. वहीं जगदंबा नर्सिंग होम, दुर्गा नर्सिंग होम व भगवती हेल्थ सेंटर को व्यवस्थापक को बिना अनुज्ञप्ति प्राप्त किये नर्सिंग होम परिचालन को बंद रखने का निर्देश सिविल सर्जन डाॅ अमर नाथ झा ने दिया है.
अवैध राशि लेने वाले पर करें कार्रवाई . जांच दल द्वारा समर्पित प्रतिवेदन के आलोक में सिविल सर्जन डा. झा ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी घोघरडीहा निर्देश दिया है कि प्रसव कक्ष में एसबीए प्रशिक्षित एएनएम को ही प्रतिनियुक्त करें. अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक द्वारा अपने देख रेख में गर्भवती महिला की जांच कर प्रसव करने का निर्देश दें. मरीज की जटिलता को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए केवल उच्चतर सरकारी अस्पताल में ही रेफर करें. मरीजों से अवैध व नाजायज पैसा लेने वाले चिकित्सक, एएनएम, ममता व आशा कार्यकर्ता का यदि नाम संज्ञान में आये तो आप त्वरित कार्रवाई करें. सिविल सर्जन ने निदेशित किया है कि जांच दल द्वारा प्रतिवेदित प्रतिवेदन के आलोक में किये गये कार्यों का अनुपालन पत्र प्राप्ति के तुरंत बाद लागू कर प्रतिवेदित करें.
जांच में पायी गयीं कई त्रुटियां
डाॅ सीके सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय चिकित्सक दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जांच की गयी. इस अवसर पर धर्मेंद कुमार मंडल, विधायक प्रतिनिधि रामयश यादव, जदयू महासचिव रामनरेश कामत, रोगी कल्याण समिति सदस्य राकेश कुमार राम, जदयू महिला प्रकोष्ट अध्यक्ष फुलो देवी सहित वैसे छह मरीज, जिनका प्रसव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं कराया जा सका था शामिल थे. जांच दल द्वारा जांच क्रम में यह पाया गया कि रोस्टर ड्यूटी में कार्यरत चिकित्सक के द्वारा प्रसव के मरीज की जांच नहीं की जाती है. प्रसव के मरीज की जांच प्रसव कक्ष में कार्यरत एएनएम के द्वारा की जाती है.
जांच दल ने इसे गंभीरता से लेते हुए पाया कि यदि चिकित्सक मरीज की जांच कर लेते तो मरीज के प्रसव की जटिलता के संबंध में तुरंत जानकारी प्राप्त हो जाती ओर उन्हें उपचार के लिए अनुमंडल अस्पताल झंझारपुर या डीएमसीएच एंबुलेंस की व्यवस्था कर रेफर किया जा सकता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्हें निजी नर्सिंग होम में भेज दिया गया. जांच दल ने खुलासा किया कि पीएचसी घोघरडीहा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. करण कुमार संस्थान में ज्यादा समय नहीं देते हैं.
वे पीएचसी फुलपरास में भी समय नहीं देते हैं. वे पीएचसी फुलपरास के भी प्रभार में है. साथ ही अपना निजी क्लिनिक भी चलाते हैं. जांच दल ने यह भी पाया कि प्रसव कक्ष में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों ही प्रकार की एएनएम से प्रसव कराया जाता है. जबकि प्रसव कक्ष में एसबीए प्रशिक्षित एएनएम से ही प्रसव कराने का निर्देश पूर्व में ही दिया जा चुका है.

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