मधुबनी : शहर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी से चलने वाले मोटर ठेला वाहन से दुर्घटना होने पर सरकार या बीमा कंपनी द्वारा किसी प्रकार के लाभ प्रभावित व्यक्ति या उसके परिवार को नहीं मिल सकेगा. इस ठेला का परिचालन पूरी तरह अवैध है. पर इसे रोक पाने में विभाग विफल रही है. पर अब इसके परिचालन […]
मधुबनी : शहर में जुगाड़ टेक्नोलॉजी से चलने वाले मोटर ठेला वाहन से दुर्घटना होने पर सरकार या बीमा कंपनी द्वारा किसी प्रकार के लाभ प्रभावित व्यक्ति या उसके परिवार को नहीं मिल सकेगा. इस ठेला का परिचालन पूरी तरह अवैध है. पर इसे रोक पाने में विभाग विफल रही है. पर अब इसके परिचालन को रोकने को लेकर सरकार सख्त कदम उठा चुकी है.
राज्य परिवहन आयुक्त राम किशोर मिश्र ने सभी संबंधित अधिकारियों को ऐसे मोटर ठेला के परिचालन पर तत्काल रोक लगाने व संबंधित वाहन मालिक या चालक पर मोटर अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है. बीते कुछ दिनों में प्रभात खबर ने इस वाहन को लेकर कई बार प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था. पर इसके बाद भी जिले में इस अवैध रूप से परिचालित हो रहे वाहनों पर रोक नहीं लगाया जा सका है.
करीब सौ वाहन का होता है परिचालन .
शहर भर में ही करीब सौ वाहन का परिचालन किया जाता है. इस पर खतरनाक तरीके से सरिया, घरेलू सामान, गैस सिलिंडर तक ढोया जाता है. इनके पास ना तो चलान है और ना ही चालक के पास कोई
लाइसेंस, पर गैस सिलिंडर तक इन वाहन पर ढोया जाता है. शहर के प्राय: हर चौक चौराहा पर ऐसे वाहनों को देखा जा सकता है.
होगी प्राथमिकी
इस प्रकार के वाहन के परिचालन को परिवहन आयुक्त ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने सभी परिवहन पदाधिकारी को ऐसे वाहन के परिचालन पर तत्काल रोक लगाने और चालक व मालिक पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश जारी किया है.
परिवहन आयुक्त ने लिया संज्ञान
नहीं मिलेगा दुर्घटना होने पर कोई लाभ
अधिकारियों को जारी किये गये पत्र में परिवहन आयुक्त ने कहा है कि इन दिनों सड़क पर जुगाड़ तरीके से मोटर ठेला, मोटर हैंडिल ठेला व माल वाहक ठेला बना कर उस पर सामान ढोया जा रहा है. पर इस प्रकार का वाहन मोटरयान अधिनियम, केंद्रीय मोटर वाहन एवं बिहार राज्य मोटर वाहन अधिनियम के तहत नहीं आता है.
जिस कारण भारत सरकार के परीक्षण अभिकरणों द्वारा ऐसे वाहनों के प्रोटोटाइप की मंजूरी का प्रमाण पत्र भी निर्गत नहीं किया जाता है. ऐसे में इन वाहनों का ना तो निबंधन होता है ना परमिट और ना ही बीमा या फिटनेस प्रमाण पत्र ही दिया जाता है. इन वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र भी सरकार निर्गत नहीं करती. यदि इस वाहन से कहीं भी दुर्घटना होती है तो प्रभावित लोगों को सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति दावा का भुगतान नहीं करती है.