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वर्तमान में नहीं है कोई भी कर्मी कार्यरत, भगवान भरोसे हो रहा काम

मधुबनी : जिले के यात्रियों के सुविधा के लिए सरकारी बस स्टैंड से विभिन्न रूटों के लिए एसी बस व लक्जरी बसों का परिचालन किया जा रहा है, पर इसके अलावे मुख्यालय स्थित बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हर दिन 20 बसों का परिचालन किया जाता है. […]

मधुबनी : जिले के यात्रियों के सुविधा के लिए सरकारी बस स्टैंड से विभिन्न रूटों के लिए एसी बस व लक्जरी बसों का परिचालन किया जा रहा है, पर इसके अलावे मुख्यालय स्थित बस स्टैंड में यात्रियों की सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. हर दिन 20 बसों का परिचालन किया जाता है.

औसतन करीब 500 से 700 यात्री रोज आते जाते हैं. पर यहां आने पर इन यात्रियों को परेशानी से दो चार होना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी रातों को आने वाले यात्रियों को होती है. अतिक्रमण हटाने के लिए जिला पदाधिकारी ने एक साल पहले ही आदेश जारी किया था. अब तक यह निर्देश कागज पर ही सिमट कर रह गया है.
रात होते ही अंधेरा कायम : बस स्टैंड हर सुविधा से मरहूम है. न शौचालय, न पेयजल और न ही रौशनी का ही व्यापक इंतजाम. रात होते ही यह स्टैंड अंधेरे में डूब जाता है. कई बार इन यात्रियों के सामान की चोरी व छीनतई की घटना भी यहां हो चुकी है. महिला यात्रियों के लिए तो यह हर स्तर से असुरक्षित है.
गंगासागर चौक के समीप दो एकड़ 02 डिस्मिल जमीन में स्थापित सरकारी बस पड़ाव वर्षों से मौलिक सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. लाखों मासिक आमदनी के बाद भी यहां राज्य पथ परिवहन निगम यात्री सुविधा उपलब्ध कराने में विफल साबित हो रही है. जिससे यात्रियों एवं नगर वासियों में रोष गहराता जा रहा है.
स्टैंड का हो रहा अतिक्रमण : कहने भर को यह परिसर दो एकड़ में फैला हुआ है. इसका अधिकाशं भाग सालों से अतिक्रमण होता आ रहा है. जो आज भी जारी है. बीते साल जिला पदाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह ने इस परिसर को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश जारी किया था. पर इसके बाद से आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है. से अतिक्रमण का शिकार बना हुआ है. चारों तरफ दुकान, गैरेज आदि खोलकर लोगों ने मुख्य सड़क का तीन हिस्सा अतिक्रमण कर लिया है. सिर्फ बसों के आने जाने के लिए एक द्वार छोड़ा गया है. जिस पर होटलों का पानी बहता रहता है.
बना कचरे का डंपिंग यार्ड : यह बस स्टैंड शहर के कचड़े का डंपिंग यार्ड बना हुआ है. जहां चारों तरफ की दुकाने और घरों का कचड फेंका जाता है. पानी बहाये जाते हैं और शहर भर के आवारा पशु और शूअर का चारागाह बना रहता है. इससे उठती सरांध के कारण यात्री यहां कुछ क्षण भी रूकने के लिए तैयार नहीं होते.
क्या कहते हैं अधिकारी : फिलहाल बस स्टैंड में कोई कर्मी कार्यरत नहीं है. निजी स्तर पर कुछ लोग यहां के काम काज का संचालन करते हैं. सदर एसडीओ शाहिद परवेज ने बताया है कि जल्द ही उचित पहल की जायेगी.
20 बस का है परिचालन
इस बस स्टैंड से प्रतिदिन 20 बस का परिचालन हो रहा है. जिसमें 16 बसें यहां से प्रत्येक दिन पटना आती जाती हैं. इसमें सात एसी बस भी शामिल है. बुडकों की चार बसें यहां से नो प्रॉफिट नो लॉस पर चल रही है. जो यहां से लौकहा और दरभंगा जाती आती है. इन बसों से निगम को प्रत्येक महीने लगभग पांच लाख की आमदनी है. क्योंकि संचालित बसों से निगम को दस प्रतिशत कमीशन प्राप्त हो रहा है. जबकि, सभी तरह के खर्चे बस ऑनर को करना पड़ता है.
पांच मिनट भी ठहरना दूभर
यहां पर आने वाले यात्रियों के लिये पांच मिनट रूकना भी असंभव हो जाता है. न तो यात्री शेड है और न ही सुरक्षा के लिए पुलिस बल ही तैनात रहती है. बाहर से आने वाले यात्रियों को ठहरने के लिए किसी दुकान का ही सहारा लेना होता है. बारिश होने पर इन यात्रियों की फजीहत हो जाती है.

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