मधुबनी : ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण अप्रैल के अंतिम सप्ताह में की गयी मापी के अनुसार भीषण गर्मी, कड़ी धूप और तापमान में लगातार जारी वृद्धि की वजह से मुख्यालय सहित जिले भर के प्रखंडों में पानी के लेयर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.
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23.2 फीट नीचे तक गया पानी का लेयर
मधुबनी : ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण अप्रैल के अंतिम सप्ताह में की गयी मापी के अनुसार भीषण गर्मी, कड़ी धूप और तापमान में लगातार जारी वृद्धि की वजह से मुख्यालय सहित जिले भर के प्रखंडों में पानी के लेयर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इसके तहत […]
इसके तहत एक अभियान चलाकर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल के द्वारा पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में की गयी मापी रिपोर्ट के अनुसार जिले के सभी 21 प्रखंडों के पांच -पांच स्थलों से नलकूप की मापी के उपरांत जो बातें खुलकर सामने आयी है ,वह बेहद चौंकाने वाला है. समय रहते यदि पानी के लेयर नीचे खिसकने के कोई ठोस वैकल्पिक उपाय नहीं किये गये और इस गिरावट पर नियंत्रण पाने के तौर तरीके नहीं खोजे गये तो वह दिन दूर नहीं जब जिले वासी को गहरे जल संकट से गुजरना पड़े. लोगों को आने वाले दिनों में परेशानी सामना करना पड़ जाय.
जिले के विभागीय आला अधिकारी की मानें तो फिलहाल इस गंभीर जीवन रक्षक मौलिक एवं ज्वलंत समस्या ;जल संकट से निपटने और पानी के लेयर नीचे खिसकने की रोकथाम के लिए सिवा यह कि बंद और खराब पड़े चापाकल को ठीक करने और सरकार के सात निश्चयों में शामिल हर घर नल से जोड़ने के अलावे कोई योजना नहीं है.
इस योजना को धरातल पर सही तरीके से उतारने में विभागीय संबंधित अधिकारियों को लंबी अवधि लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है. क्योंकि सरकार अभी तक यह नहीं तय कर पायी है कि यह योजना लागू करने की जिम्मेवारी पंचायती राज विभाग को दी जाय या पीएचइडी को इसी पेंच में मामला अभी तक अटका हुआ है. हर प्रखंड के पांच नलकूपों की मापी के उपरांत सबसे अधिक पानी का लेयर अंधराठाढ़ी में 23.2 फीट एवं सबसे कम खजौली प्रखंड में 12.6 फीट नीचे खिसक गया है.
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