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सर्द हवाआें ने बढ़ायी कनकनी, लोग बेहाल

मधुबनी : पिछले चार दिनों से चल रही शीत लहर से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.हवा के तेज थपेड़ों व सूर्य की किरण के बाहर नहीं निकलने से जहां एक तरफ लोग सर्दी से बेहाल है वहीं ठंड लगने से कई रोगी बिमार होकर सदर अस्पताल पहुंच रहे है. जनवरी के अंतिम सप्ताह […]

मधुबनी : पिछले चार दिनों से चल रही शीत लहर से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.हवा के तेज थपेड़ों व सूर्य की किरण के बाहर नहीं निकलने से जहां एक तरफ लोग सर्दी से बेहाल है वहीं ठंड लगने से कई रोगी बिमार होकर सदर अस्पताल पहुंच रहे है. जनवरी के अंतिम सप्ताह में जहां अन्य वर्षों में सर्दी कमने लगती थी और इसे जाड़े की समाप्ति का दस्तक माना जाता था वहीं इस वर्ष जाड़ा जाते जाते लोगों को कंप कंपा गई है. अत्यधिक जाड़े के कारण जिले में विद्यालयों में वर्ग संचालन को प्रशासन ने 25 जनवरी 2016 तक बंद करा दिया है.कोल्ड डायरिया का प्रकोप से बच्चे व बूढ़े आक्रांत हो रहे हैं.

शाम ढलते ही घरों में दुबक जाते लोग
कड़कड़ाती ठंड में शाम ढलते ही काम काजी लोग भी घरों में दुबक जाते हैं कारण शीत लहर के प्रकोप से हर कोई बचना चाहता है. घरों में बिजली के हीटर अथवा अलाव जलाकर ठंड से बचने का उपाय करते हैं. सड़क किनारे रहने वाले ठेला चालक, रिक्शा चालक व फुटपाथी दुकानदार सड़क के किनारे टायर व प्लास्टिक की बोतल जलाकर ठंडा से निजात पाते नजर आते हैं.
गर्म कपड़ों की मांग बढ़ी
बढते ठंड के कारण जनवरी के अंतिम सप्ताह में मफलर, टोपी, ग्लब्स एवं जैकेटों की मांग बढ़ गई है. पिछले तीन माह में जाड़े ़ के कपड़ों की दुकान में जाड़े के इतने कपड़े की ब्रिकी नहीं हुई जितने पिछले चार दिनों में हुई हैं. सड़क के किनारे लगे जाड़े के कपड़ा के दुकान मालिक ने बताया कि गर्म कपड़ों की बिक्री बढ़ गई है.खासकर मफलर टोपी व ग्लप्स की मांग इन दिनों काफी बढ़ गई है.
अलाव की नहीं है समुचित व्यवस्था
प्रशासन के द्वारा अलाव की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है.
हालांकि जिला प्रशासन के आपदा विभाग द्वारा जिले के 20 प्रखंडों में 2 हजार की राशि प्रत्येक प्रखंड के अंचलाधिकारी को दी गई है एवं 10 हजार की राशि रहिका के अंचलाधिकारी को अलाव जलाने की व्यवस्था के लिए दी गई है जो अपने क्षेत्र के अंतर्गत प्रमुख चौक चौराहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था करेंगे. पर राशि पर्याप्त नहीं है क्यों कि जलावन के मंहगे होने के कारण यह राशि बहुत कम प्रतीत होता है. इस प्रकार प्रशासन द्वारा अलाव की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है.

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