झंझारपुर : आइएसओ मान्यता प्राप्त अनुमंडलीय अस्पताल में डॉक्टर व कर्मी की भारी कमी है. विधानसभा चुनाव को लेकर अस्पताल के कर्मी को भी चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया है. आये दिन प्रशिक्षण के लिए कर्मियों को जिला मुख्यालय बुलाया जाता है. मरीज की संख्या बढ़ती जा रही है. एक ओर जहां डायरिया के मरीज का आने का सिलसिला जारी है. वहीं, दूसरी ओर मारपीट एवं सड़क दुर्घटना में घायल भी प्रतिदिन अस्पताल में भरती होते रहते हैं.
चिकित्सक की कमी से होती असुविधा अनुमंडलीय अस्पताल को आइएसओ का दर्जा मिले करीब एक वर्ष हो गये, लेकिन विभाग ने मरीजों की सुविधा को ले चिकित्सक की संख्या अब तक नहीं बढ़ायी है. अनुमंडलीय अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अमरेंद्र नारायण झा ने मधुबनी के तत्कालीन सिविल सर्जन ओम प्रकाश प्रसाद को त्राहिमाम संदेश भेजकर अस्पताल में तत्काल अतिरिक्त चिकित्सक बहाल करने की मांग की थी.
वर्षों बाद इस अस्पताल को मिला एक मात्र महिला चिकित्सक मारथा कुजुर योगदान के दो माह बाद ही नौकरी से इस्तीफा देकर चली गयी. जबकि प्रतिदिन यहां आउट डोर से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक में सैकड़ों मरीज, इसमें महिलाओं एवं बच्चों की संख्या सबसे अधिक रहती है का पंजीयन होता है. उपाधीक्षक को छोड़ दिया जाये तो वर्तमान में अनुमंडलीय अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था मात्र तीन चिकित्सकों क्रमश: महिला चिकित्सक, दंत चिकित्सक अबु जफर, अरुण कुमार चौधरी के जिम्मे है. आउटडोर से लेकर इमरजेंसी तक में यही चिकित्सक अपनी सेवा देते है. जबकि यहां वर्षों से आठ चिकित्सक का पद सृजित है.
आइएसओ गाइड लाइन के मुताबिक सृजित सभी पदों पर चिकित्सक बहाल नहीं रहने व मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध नहीं होने पर इसकी मान्यता रद्द भी हो सकती है. अस्पताल सूत्रों की माने तो चिकित्सकों की भारी कमी के कारण कभी भी आइएसओ का गाज गिर सकता है. इसकी मान्यता प्राप्त करने में अस्पताल प्रशासन को महीनों का वक्त लगा था.क्या कहते हैं अधिकारीडीएस केकेपी मेहथा ने बताया कि सिविल सर्जन एवं जिला पदाधिकारी को त्राहिमाम संदेश कई बार भेजा जा चुका है.