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शहर में शुरू हुआ घरों में शौचालय का सर्वे

शहर वासियों का खुले में शौच करना अपमान का विषय बना हुआ है. आजादी के 68 साल बाद भी शहर वासी खुले में शौच करने को मजबूर हैं. इससे नगर परिषद की स्वच्छ व सुंदर शहर की परिकल्पना सिर्फ कागजी साबित हो रही है. ऐसे में नगर परिषद का शौचालय निर्माण की दिशा में एक […]

शहर वासियों का खुले में शौच करना अपमान का विषय बना हुआ है. आजादी के 68 साल बाद भी शहर वासी खुले में शौच करने को मजबूर हैं. इससे नगर परिषद की स्वच्छ व सुंदर शहर की परिकल्पना सिर्फ कागजी साबित हो रही है. ऐसे में नगर परिषद का शौचालय निर्माण की दिशा में एक सराहनीय पहल की है.
इससे सबसे अधिक फायदा आधी आबादी को होगी. जो खुले में शौच करने को मजबूर है. अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आजादी के 69वें स्वतंत्रता दिवस पर शहर वासियों को तोहफा होगा.
मधुबनी : प्रभात खबर के 15 अप्रैल के अंक में ‘आजादी के बाद भी लागू ब्रिटिश कानून’ शहर में पांच सार्वजनिक शौचालय के बचे अवशेष शीर्षक से छपी खबर पर नगर परिषद ने संज्ञान लिया है.
शहर में रहने वाले लोगों को खुले में शौच नहीं करना पड़ेगा. नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले सभी परिवारों को शौचालय की सुविधा दी जायेगी. प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत शौचालय विहीन परिवारों का सर्वेक्षण कार्य शुरू हो गया है. नगर विकास विभाग से निर्गत आदेश के आलोक में सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया है.
नगर परिषद ने इसका जिम्मा स्वयं सेवी संस्थान को दिया है. साथ ही एक माह के अंदर सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया है. यदि सब कुछ ठीक रहा तो 15 अगस्त तक सभी घरों में शौचालय बन जायेगा. गौरतलब हो कि 30 वार्डो वाले नगर परिषद क्षेत्र में रहने वाले 13 हजार परिवारों में से अधिकांश परिवारों के पास शौचालय नहीं है. आजादी के 68 साल बाद भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं. शौचालय निर्माण हो जाने से सबसे अधिक फायदा महिलाओं को होगा.
लिया जाता है टैक्स
शहर वासियों से नगर परिषद होल्डिंग टैक्स में शौच कर भी लेती है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में शौच कर के रूप में 9 लाख की वसूली हुई थी. पर लोगों को सुविधा नहीं मिल रही थी. कई लोगों ने एतराज भी जताया था.
क्यों लिया जाता कर
नगर पालिका अधिनियम के तहत शहर वासियों को नगर निकाय द्वारा सुविधा प्रदान करने हेतु होल्डिंग टैक्स लिया जाता है. जिसमें शौचालय कर भी शामिल है. आज से 20 साल पहले कमाऊं शौचालय की व्यवस्था थी जिसके सफाई कर्मी की व्यवस्था थी. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसे बंद कर दिया गया.
2008 में भी हुआ था निर्णय
नप शहर वासियों के हर घर में शौचालय निर्माण के लिए 2008-09 में निर्णय लिया था. इसके लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू किया गया था. पर विभागीय कारण से निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका.
स्वयंसेवी संस्था को मिला जिम्मा
शहर में शौचालय निर्माण के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग के आदेश के बाद 30 वार्डो का सर्वेक्षण किया जा रहा है. शहर को दो भागों में बांट दो स्वयं सेवी संस्था इसका सर्वेक्षण कर रहे है. वार्ड नंबर एक से 15 तक मिथिला देशम व 16 से 30 तक सर्वेक्षण का जिम्मा काव्या महिला प्रशिक्षण मंच सह संस्थान, शिव नगर को दिया गया है. जिसे एक माह के भीतर सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपना है.

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