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मधुबनी : विगत ढ़ाई साल पहले जिस योजना में जिले के किसानों व चिह्न्ति एजेंसियों ने अपनी पूंजी लगाकर काम किया. उन किसानों व एजेंसी का आज तक भुगतान लंबित है. मामला बगीचा बचाओ अभियान का है. इस योजना की शुरुआत जिस उत्साह के साथ किया गया था. आज वह उत्साह किसान व एजेंसी के […]

मधुबनी : विगत ढ़ाई साल पहले जिस योजना में जिले के किसानों व चिह्न्ति एजेंसियों ने अपनी पूंजी लगाकर काम किया. उन किसानों व एजेंसी का आज तक भुगतान लंबित है. मामला बगीचा बचाओ अभियान का है. इस योजना की शुरुआत जिस उत्साह के साथ किया गया था.
आज वह उत्साह किसान व एजेंसी के लिए परेशानी का सबब बन गया है. स्थिति का आलम यह है कि कृषि यंत्र व उपादान विक्रेता जो इस योजना में शामिल थे. वो आज सड़क पर आ गये हैं. बाजार से कर्ज उठा क र इस योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभायी पर आज वे हंसी के पात्र बन गये हैं. पर विभाग को इनकी इस परेशानी से कोई सरोकार नहीं रह गया है.
क्या है मामला
वित्तीय वर्ष 12-13 में उद्यान निदेशालय ने जिले में बगीचे के जुताई एवं पेड़ों की पुताई के लिए योजना शुरू की थी. इसको लेकर 30 अक्तूबर 12 को राजनगर के एक बगीचे से तत्कालीन जिला पदाधिकारी लोकेश सिंह, तत्कालीन डीएओ केके झा एवं तत्कालीन उद्यान पदाधिकारी एलके झा के द्वारा योजना की शुरुआत की गयी. इसके बाद जिले के सैकड़ों किसानों एवं एजेंसियों ने बगीचे की जुतायी व पुताई का काम शुरू किया. इस कार्य में कई बड़े व्यवसायी जो कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं को धरातल पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं, भी शामिल हुए. उन्होंनें अपनी पूंजी से किसानों को कृषि यंत्र मुहैया कराया.
बाजार से कर्ज भी लिया. काम होता रहा. किसानों व कुछ लोगों को इसमें भुगतान भी किया गया. पर जिन व्यवासायी व एजेंसी ने काम को पूरा करने में अहम भूमिका निभायी थी. उनका भुगतान लंबित ही रहा.
निदेशालय ने दिया था निर्देश
किसानों के भुगतान नहीं होने का मामला निदेशालय तक पहुंचा. इस मामले को लेकर बिहार राज्य बागवानी मिशन के निदेशक अजय यादव ने इस अभियान में विभाग के नियमानुसार किसानों व चिह्न्ति एजेंसियों को भुगतान करने का निर्देश कई बार दिया है, लेकिन इस निर्देश के बाद भी फाइल जिला उद्यान विभाग व जिला पदाधिकारी के कार्यालय के बीच फंस कर रह गया है. किसान व एजेंसी भुगतान की आश में बैठे हैं. तत्कालीन जिला पदाधिकारी लोकेश कुमार सिंह ने भी लंबित भुगतान के लिए विभागीय अधिकारी को उद्यान निदेशालय से दिशा निर्देश लेकर लंबित भुगतान करने को कहा था. पर इस आदेश व कार्य शुरू होने के करीब ढ़ाई साल बीतने के बाद भी भुगतान की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. इससे पूर्व विभाग ने योजना के तहत काम की स्थलीय जांच भी करायी थी.
सड़क पर आये व्यापारी
योजना में काम के बाद भुगतान नहीं होने के कारण कई बड़े प्रतिष्ठान के मालिक आज सड़क पर आ गये हैं. प्रतिष्ठान बंद हो चुका है. बाजार में आज इनकी हंसी उड़ायी जा रही है. जिस कंपनी से यंत्र लिया था वो अपने यंत्र के कीमत के लिए इनके ऊपर अब कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. यह चिंता व परेशानी अलग से है. इसी प्रकार किसानों के साथ भी कई प्रकार की परेशानी सामने आ रही है. किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला उद्यान पदाधिकारी अजीत कुमार यादव ने बताया है कि जिला पदाधिकारी या निदेशालय द्वारा स्पष्ट तौर पर भुगतान करने का आदेश नहीं दिया है. साथ ही एक किसान ने हाइकोर्ट में भी मामला दायर किया है. कोर्ट के आदेश के अनुसार भुगतान की प्रक्रिया की जायेगी.

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