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घातक है कान फोड़ू आवाज
शौक बन जाये सजा : डीजे साउंड से बच्चे हो सक ते बहरे-गूंगे फुलपरास : अनुमंडल क्षेत्र में हर चौराहे सहित गांवों में होने वाले कार्यक्रमों में देर रात तक डीजे बजाना अब आम बात हो गयी है. ऊंची आवाज से बजने वाले डीजे इन दिनों शादी-विवाह, मुंडन, पूजा, धार्मिक, सांस्कृतिक सहित अन्य शुभ काम […]
शौक बन जाये सजा : डीजे साउंड से बच्चे हो सक ते बहरे-गूंगे
फुलपरास : अनुमंडल क्षेत्र में हर चौराहे सहित गांवों में होने वाले कार्यक्रमों में देर रात तक डीजे बजाना अब आम बात हो गयी है. ऊंची आवाज से बजने वाले डीजे इन दिनों शादी-विवाह, मुंडन, पूजा, धार्मिक, सांस्कृतिक सहित अन्य शुभ काम में बजाना लोग अपनी शान समझ रहे हैं.
इन शुभ अवसर पर कभी शहनाई बजा करती थी. इसकी जगह पर लोग अब नये-नये आधुनिक उपकरण पर गीत संगीत सुनते हैं. इनकी आवाज लोगों के श्रवण शक्ति की सीमा से कई गुणा अधिक रहता है, जो काफी खतरनाक है. विशेषज्ञों का कहना है कि डीजे के अधिक उपयोग से आने वाले समय में बहरे-गूंगे बच्चों की संख्या काफी बढ़ जायेगी.
रात में लाउडस्पकीर बजाने पर है प्रतिबंध
मौज मस्ती के पीछे लोग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं. क्षेत्र में रात भर ऊंची आवाज में डीजे बजाया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक स्थानों पर रात में लाउडस्पीकर या अन्य कोई भी साउंड बजाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. इसके बाद भी हर दिन ऊंची आवाज में डीजे साउंड रात भर बजाये जाते हैं. ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए न्यायालय ने लगातार निर्देश जारी किया है. रात के 10 से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रोक लगी है. इस अवधि में 125 डेसीबल से अधिक की तेज ध्वनि को प्रतिबंधित किया गया है.
मस्तिष्क पर भी पड़ता है असर
डीजे की आवाज मनुष्य के लिए खतरनाक है. चिकित्सकों की मानें तो 100 डेसीबल तक की ध्वनि ही मनुष्य के लिए सुरक्षित रहता है. 125 डेसीबल से ऊपर की तेज आवाज खतरनाक हो जाता है. जबकि डीजे का सामान्य आवाज 580 डेसीबल होता है. इससे कान की परत फट सकती है.
इससे सबसे बुरा प्रभाव जन्म लेने वाले बच्चों पड़ता है. डीजे की तेज आवाज नवजात को बहरा, गूंगा तो बना ही देगा साथ ही मस्तिष्क पर भी इसका खतरनाक असर पड़ता है. गर्भ में पल रहे बच्चों में यह विभिन्न विकृति का कारण बन जाता है. शारीरिक व मानसिक विकास पर इसका गंभीर असर होता है. डीजे की तेज आवाज हृदय की समस्या के इजाफा का मुख्य कारण माना जाता रहा है. उच्च रक्तचाप चिड़ चिड़ापन, सर में चक्कड़ आना, नींद नहीं आना, स्मृति पर बुरा असर होना जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
गला, नाक, आंख रोग विशेषज्ञ हरिनंदन प्रसाद ने बताया कि तेज ध्वनि ज्ञानेंद्रियों को डीजे का साउंड बुरी तरह प्रभावित करता है. मस्तिष्क के तंत्र को बाधित करता है. इसका असर हृदय व रक्त प्रवाह पर पड़ता है. सबसे ज्यादा नुकसान गर्भ में पल रहे छोटे बच्चे एवं पांच वर्ष के बच्चों पर ध्वनि प्रदूषण से होगा. 100 डेसीबल वाले हर प्रकार की आवाज भयंकर खतरा उत्पन्न कर सकता है. जो पांच वर्षो के बाद पता चलेगा कि आज का बच्च जब सुनना बंद कर देगा तब लोगों का होश उड़ जायेगा.
कहते हैं अधिकारी
एसडीओ विजय कुमार ने बताया है कि प्रतिबंध एवं बिना आदेश के डीजे साउंड बजाने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. नियम के तहत उल्लंघन करने वाले को एक वर्ष की सजा व जुर्माना का दंड मिल सकता है.
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