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ऐसे में तो डॉक्टर व कर्मी भी हो जायेंगे बीमार!

मधुबनी : मरीज अपनी बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल आते हैं, जिससे की उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके और वे बीमारी से निजात पाकर अपने घर भला चंगा होकर जायें. पर सदर अस्पताल में हालात ठीक इसके उल्टा है. यहां आने वाले मरीज व उनके परिजन में यह आशंका है कि यदि वे अस्पताल […]

मधुबनी : मरीज अपनी बीमारी का इलाज करवाने अस्पताल आते हैं, जिससे की उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके और वे बीमारी से निजात पाकर अपने घर भला चंगा होकर जायें. पर सदर अस्पताल में हालात ठीक इसके उल्टा है. यहां आने वाले मरीज व उनके परिजन में यह आशंका है कि यदि वे अस्पताल जायें तो पुराने बीमारी के साथ साथ कोई नया बीमारी भी न उन्हें ग्रसित कर ले. कचरे का डंपिग यार्ड बना हुआ है. जहां कब स्वस्थ व्यक्ति और स्वयं चिकित्सक भी बीमार हो जाये कहा नहीं जा सकता है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस सबसे बेखबर प्रतिमाह साफ- सफाई के नाम पर हजारों रुपये खर्च कर रहा है.

जानकारी के अनुसार जहां अस्पताल के साफ- सफाई पर लगभग 1 लाख 80 हजार रुपये खर्च किये जाते हैं. वहीं मेडिकल वेस्टेज के उठाव पर अलग से प्रति माह लगभग 15 हजार रुपये का भुगतान संबंधित एजेंसी को किया जाता है. जबकि प्रति दिन मेडिकल वेस्टेज उठाव के बाद भी मेडिकल वेस्टेज सभा कक्ष के समीप बिखरा हुआ रहता है. जिससे कई प्रकार के संक्रमण का खतरा हमेशा आने वाले मरीजों व परिजनों का लगा रहता है.

डंपिग यार्ड में तब्दील परिसर. सदर अस्पताल के सभा कक्ष व पोस्टमार्टम कक्ष के समीप कचड़े का अंबार लगा हुआ है. कचड़े से निकलने वाली सड़ांध इतनी अधिक है कि इधर से आने- जाने में मरीज सहित परिजन भी परहेज करते हैं. यहां प्रसव कक्ष के वेस्टेज सहित मेडिकल वेस्टेज का भी अंबार लगा रहता है. बताते चलें कि यहीं पर इएनटी, फिजियोथेरेपी व सभा कक्ष अवस्थित है. आलम यह है कि इएनटी व फिजियोथेरेपी कक्ष की खिड़की कभी खोली नहीं जाती है. इतना ही नहीं पोस्टमार्टम कक्ष में प्राय: प्रतिदिन शव का पोस्टमार्टम किया जाता है. जहां चिकित्सक अपने मुंह को ढक कर यहां पहुंचते हैं.
इतना सब कुछ होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन आंख- कान दोनों बंद किये हुए हैं.
साफ- सफाई के लिए एजेंसी है नियुक्त. सदर अस्पताल के आंतरिक व बाह्य साफ सफाई के लिए पुष्प भारती संस्था को टेंडर दिया गया है. सदर अस्पताल द्वारा प्रतिमाह साफ- सफाई मद में 1 लाख 80 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. जबकि साफ सफाई का आलम यह है कि ओटी के बगल में महीनों से जल जमाव है. जबकि ओटी सहित एक्सरे व अन्य भर्ती वार्ड में प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आना जाना होता है. हल्की बारिश होने पर महीनों तक जल जमाव लगा रहता है. सीएस कार्यालय व ओपीडी में आने वाले मरीज व परिजनों को सडांध वाले जल जमाव से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे सहज ही आकलन लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीज कितना सुरक्षित है.
अस्पताल प्रबंधन को है पूरा अिधकार
सीएस डा. अमर नाथ झा ने बताया कि सदर अस्पताल के देख रेख के लिए अधीक्षक की भी नियुक्ति हुई है. साथ ही अस्पताल प्रबंधन को इन सभी व्यवस्था के लिए पूरा अधिकार दिया गया है. इसके लिए संबंधित पदाधिकारी से जानकारी ली जायेगी. साफ- सफाई व मेडिकल वेस्टेज का उठाव किया जा रहा है. बावजूद इसके यदि सभा कक्ष के समीप वेस्टेज व अन्य कचड़ा जमा किया गया है तो उसे तत्काल नष्ट करने की व्यवस्था की जायेगी.
साथ ही इस मामले की जांच करायी जायेगी.
सभा कक्ष के समीप जमा रहता है मेडिकल वेस्टेज
मरीज व उनके परिजनों में भी गंदगी से होने वाली बीमारी का भय
हर माह करीब दो लाख रुपये हो रहे सफाई व मेडिकल वेस्टेज उठाव पर खर्च
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का निर्देश भी बेअसर
बिहार स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अस्पताल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बायोमेडिकल बेस्टेज के लिए कई दिशा निर्देश दिया गया है. जिसके मेडिकेयर इंवायरमेंटल मैनेजमेंट प्रा. लि. के साथ मेडिकल वेस्टेज के लिए एकरारनामा किया गया है. जिसे प्रतिदिन प्रति बेड 4 रुपये 77 पैसे की दर से मेडिकल वेस्टेज उठाव करने का दर निर्धारित है. जिसे प्रतिमाह लगभग 15 हजार रुपये मेडिकल वेस्टेज के उठाव के लिए भुगतान किया जाता है. बावजूद इसके मेडिकल वेस्टेज का परिसर में जमा होना अस्पताल प्रबंधन की विफलताओं की पोल खोलने के लिए काफी है. प्रतिमाह लगभग दो लाख रुपये खर्च के बाद भी अस्पताल की इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है यह कहना कठिन है.

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