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चिंताजनक . फसल जांच कटनी प्रयोग प्रतिवेदन में गेहूं उपज के चौकाने वाले आंकड़े

3 साल में 13 क्विंटल/हेक्टेयर उपज कम चौकाने वाले आंकड़े हैं कि जिले में प्रत्येक वर्ष गेहूं की उत्पादकता कम होती जा रही है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत फसल जांच कटनी प्रयोग प्रतिवेदन से लिये गये आंकड़े के अनुसार गेहूं की उपज तीन साल में तेरह क्विंटल प्रति […]

3 साल में 13 क्विंटल/हेक्टेयर उपज कम

चौकाने वाले आंकड़े हैं कि जिले में प्रत्येक वर्ष गेहूं की उत्पादकता कम होती जा रही है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत फसल जांच कटनी प्रयोग प्रतिवेदन से लिये गये आंकड़े के अनुसार गेहूं की उपज तीन साल में तेरह क्विंटल प्रति हेक्टेयर कम हो गयी है. इस वर्ष की रिपोर्ट आना अभी शेष है.
लेकिन, इस साल मौसम की मार भी गेहूं की फसल पर पड़ी है. इसलिये यह आंकड़ा और नीचे जा जा सकती है. तापमान में वृद्धि के कारण उत्पादन करीब चालीस से पचास फीसदी तक कम हुआ है. खेती में लागत बढ़ती ही जा रही है. इस साल बमुश्किल ही लागत निकलने की उम्मीद है. किसी का कर्ज चुकता नहीं हो पाया, तो किसी के घर की छत की मरम्मत इस बरसात में होने से रही. अगर हर फसल के साथ ऐसा ही होता रहा, तो आने वाले समय की भयावहता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
मधेपुरा : बिहारीगंज प्रखंड के हथियौंधा पंचायत वार्ड संख्या 12 के किसान लोघाय मंडल कहते हैं कि 12 कट्ठा खेत में विगत साल बीस से पच्चीस मन गेहूं की उपज होती थी, इस साल केवल तीन मन ही उपज हुई है. जहां गेहूं के पौधों के विकसित नहीं होने के कारण पैदावार पर असर पड़ा वहीं चूहे ने भी उनकी फसल को काफी क्षति पहुंचाई है. इसी गांव के लालबहादुर मंडल कहते हैं कि एक एकड़ में 18 मन गेहूं की उपज होती थी लेकिन इस साल केवल 12 मन ही गेहूं हो सका है.
किसान भैरव यादव कहते हैं कि दस कट्ठा में विगत साल जहां तीन क्वींटल गेहूं की उपज हुई थी इस साल केवल दो क्विंटल ही गेहूं उपजा.
जरूरी काम अटका : बिहारीगंज प्रखंड के हथियौंधा पंचायत किसान भैरव यादव कहते हैं कि इस साल गेहूं बेच कर घर की मरम्मत कराना था. चदरा की कीमत भी पता कर ली थी. लेकिन इतने कम उपज को बेच कर क्या काम होगा, ईश्वर ही जानें. सिंहेश्वर प्रखंड के कमरगामा गांव के किसान राजा सिंह कहते हैं कि इस साल गेहूं की कम उपज के कारण वह अपने खेत की घेराबंदी का काम पूरा नहीं कर पायेंगे.
खराब बीज को भी दे रहे दोष : चौसा प्रखंड क्षेत्र के लौआलगाम पश्चिमी पंचातय के किसान विनोद सिंह करीब तीन बीघे में गेहूं की फसल लगायी थी. वह कहते हैं कि विगत साल एक कट्ठे में दो मन की उपज हुई थी लेकिन इस साल केवल बीस किलो ही उपज हो पायी है. बाजार में सरकार की ओर से मुहैया करायी गयी बीज की गुणवत्ता खराब होने के कारण ही उपज पर इतना असर पड़ा है.
वहीं चौसा पश्चिमी पंचायत के किसान लखन यादव बताते हैं कि एक बीघा में जहां 14 मन गेहूं की उपज होती थी इस साल केवल 11 मन ही उपज हो सकी. लौआलगाम पश्चिमी पंचातय के संजय यादव कहते हैं कि चार बीघा खेत में पहले 47 मन होता था, इस साल 30 मन ही उपज मिल सकी. किसानों ने बीज की गुणवत्ता की शिकायत बीडीओ की भी थी.
अब मक्का पर आसरा : सिंहेश्वर प्रखंड के रामपट्टी गांव के किसान विजय सिंह कहते हैं कि इस साल गेहूं की उपज में पचास फीसदी तक की गिरावट आयी है. लागत निकलना तो काफी मुश्किल है अब मक्के की फसल पर ही आसरा है. लेकिन तापमान बढ़ने क कारण पटवन अत्यधिक करना पड़ रहा है. गेहूं की फसल के भरोसे कई जरूरी काम थे, कुछ कर्ज भी चुकता करना था लेकिन इस बार गेहूं ने निराश कर दिया है. मक्का पर उम्मीद है.
ग्वालपाड़ा में भी दाना नहीं आया : ग्वालपाड़ा प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष गेहूं फसल की उपज कम हुई है. किसान हीरानंद झा का कहना है कि करीबए एक बीघे से अधिक खेत में लगे गेहूं के पौधों में बाली में दाना नहीं आया. वहीं झिटकिया – कलौतहा पंचायत के जयराम पड़सी निवासी किसान सचेंद्र कुमार, शाहपुर पंचायत के किसान रणधीर सिंह, शंभू सिंह, नौहर के बेदानंद ठाकुर रही, टोला के रंजन यादव का कहना है कि पिछले साल कि तुलना में इस वर्ष उपज आधा हो गया है. सचेंद्र कुमार का कहना है कि पिछले साल दस एकड़ में जहां दो सौ मन गेहूं की पैदावार हुई था.
डीजल अनुदान की राह देख रहे किसान : चौसा. प्रखंड क्षेत्र के किसान धान के समय से ही अब तक डीजल अनुदान की राह देख रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर डीजल अनुदान उन्हें समय पर मिला होता तो शायद उपज अधिक हुई होती. लौआलगाम पश्चिमी पंचायत के किसान विनोद सिंह कहते हैं कि डीजल अनुदान के लिए विगत कई महीनों से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अब तक मुहैया नहीं हो पाया है.
चौसा पश्चिमी पंचायत के किसान लखन यादव एवं लौआलगाम पश्चिमी पंचातय के संजय यादव का कहना है कि करीब एक माह पहले किसानों ने डीजल अनुदान की मांग करते हुए प्रखंड कार्यालय का घेराव भी किया था. बीडीओ ने समस्या के समाधान करने का आश्वासन भी दिया था. लेकिन अब तक डीजल अनुदान का भुगतान नहीं हो सका है.

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