मधेपुरा : भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने 90वां स्थापना दिवस के अवसर पर समारोह का आयोजन किया. कॉलेज चौक स्थित भाकपा कार्यालय परिसर में जिला स्तरीय समारोह की अध्यक्षता पार्टी के वरीय नेता रमण कुमार ने की. समारोह का उद्घाटन भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर ने किया.
इस मौके पर मुख्य वक्ता के तौर पर उन्होंने कहा कि भाकपा का जन्म भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से साम्राज्यवाद एवं ब्रिटिश उप निवेशवाद के खिलाफ हुआ था. किसानों मजदूरों की समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करने के लिए महान अक्टुबर क्रांति से प्रभावित होकर 26-28 दिसंबर 1925 को कानपुर में इसकी नींव रखी थी.
मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं वैज्ञानिक समाजवाद का विचार सबसे उत्कृष्ट और प्रासांगिक है. प्रभाकर ने कम्यूनिस्ट पार्टी के उतार चढ़ाव के बारे में विस्तार से बताया. पूर्ण आजादी की मांग के साथ जन्मी भाकपा — प्रमोद प्रभाकर ने कहा कि 1925 से पहले कम्यूनिस्ट नेता कांग्रेस के अंदर ग्रुप बना कर काम करते थे.
कांग्रेस के द्वारा असहयोग आंदोलन के बीच में ही रोक देने से आम जन एवं देश भक्तों में आक्रोश व्यक्त था. 1921 में कांग्रेस के अहमदा अधिवेशन में हसरत मोहानी एवं 1922 में गया अधिवेशन में सिंगारवेलू चेटियार ने पूर्ण आजादी का नारा देने की मांग बुलंद की. 1928 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेश के समक्ष 50 हजार मजदूरों किसानों ने प्रदर्शन किया. पुन: पूर्ण आजादी की मांग पर जोर दिया. अंत में कांग्रेस के 1929 लाहौर अधिवेशन में पूर्ण आजादी का प्रस्ताव पारित किया गया.
कम्यूनिस्ट पार्टी का फैलाव होने लगा. विभिन्न राज्यों में कम्यूनिस्ट आंदोलन तेज हो गया. अंग्रेजों ने घबरा कर कम्यूनिस्ट नेताओं को कानपूर एवं मेरठ षडयंत्र केस में फंसा दिया. — 1934 में लगा था बैन — 1934 में पार्टी पर बैन लगा दिया.
क्रांतिकारी नेता भगत सिंह एवं चंद्रशेखर आजाद द्वारा गठित संगठन हिंदुस्तान रि पब्लिकन आर्मी का नाम बदल कर हिंदुस्तान शोसलिस्ट रि पब्लिकन एसोसिएशन किया गया. भगत सिंह की शहादत के बाद इनके कई साथी अजय घोष शिव वर्मा, सोहन सिंह जोश, गणेश शंकर विद्यार्थी, कल्पना दत्त, सुर्य सैन, कदर आंदोलन के बीर बाबा सोहन सिंह भाकना, संतोष सिंह,गुरू मुक सिंह, अरूणा आसफ आदि भाकपा में शामिल हो गये.
साहित्यकार भी जुड़े– वर्ष 1936 में स्वामी शहजानंद सरस्वती,राहुल, सांकृत्यान, कार्यानंद शर्मा के नेतृत्व में अखिल भारतीय किसान सभा, रविंद्र नाथ टैगोर, मुंशी प्रेम चंद,सज्जाद जहिर के नेतृत्व में प्रगतिशील लेखक संघ, प्रेम कुमार भारगव के नेतृत्व में अखिल भारतीय छात्र संघ की स्थापना हुई. इन संगठनों के नेतृत्व में भाकपा का जनाधार बढ़ता गया.
ते भागा, तेलंगना बकास्त, पेप्सू , पुन्नपरा, वायलाद जैसे बड़े किसान आंदोलन हुए. सैकड़ों नेता शहीद हुए. — गरीबों की लड़ाई का नाम है भाकपा– भाकपा नेता ने कहा कि भाकपा के आंदोलन के बल पर देश में कई जन हितैषी कानून बने. भूबंदी कानून, बैंकों का राष्ट्रीय करण, कोयला खद्यान्न का राष्ट्रीयकरण, फसल बीमा कानून, मनरेगा, सूचना के अधिकार कानून, भूमि अधिग्रहण कानून, वृद्धावस्था एवं विधवा पेंशन, गरीबों के आवास, खाद्य सुरक्षा कानून जैसे महत्वपूर्ण कानून बनवायी.
पार्टी ने लाखों एकड जमीन को वटवा कर करोंडो लोगें को जमीन दिलवायी.– जारी रहेगा संघर्ष — नेताओं ने कहा कि जन विरोधी उदार वादी आर्थिक नीति, कृषि नीति एवं शिक्षा नीति के विरूद्ध संघर्ष जारी है और रहेगा. सम्राज्यवाद संप्रदायवाद पूंजीवाद जाति वाद, आतंकवाद, सामंत वाद, के खिलाफ कड़ा संघर्ष जारी है. मौके पर भाकपा के जिला मंत्री विद्याधर मुखिया ने पार्टी द्वारा किये गये संघर्ष एवं शहादत को याद दिलाते हुए कहा कि हमारी पार्टी बेदाग और जन पक्षीय है.
इस मौके पर भाकपा के सहायक जिला मंत्री उमेश यादव, बीरेंद्र नारायण सिंह, मो चांद, अंबिका मंडल, मोती सिंह, फुलेश्वर मंडल, बीरेंद्र मेहता, ललन मंडल, कृत्यानंद रजक, नवीन कुमार, मनोज राम, ओंकार मंडल, मो सुलेमान, चंद्र देव मंडल, रमण कुमार पिंटू, दिलीप पटेल, वसीम उद्दीन नन्हें, फणेश्वर यादव, मोहन सिंह, मो जहांगिर, श्याम यादव, चंद्र शेखर पोद्दार, अमरेंद्र कुमार आदि ने भी अपने – अपने विचार प्रकट किये. इस दौरान सैकड़ों भाकपा नेता एवं कार्यकर्ता मौजूद थे.
इनसेट — नौ साथियों को किया सम्मानित, नब्बे दीये जलायेभारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने 90वां स्थापना दिवस समारोह की शुरूआत नब्बे दीये जला कर की. इस अवसर पर पार्टी ने अपने नौ साथियों को सम्मानित किया.
इस अवसर पर प्रो शचींद्र महतो, कामेश्वर यादव, मंसूर अली, दिनेश्वर प्रसाद सिंह, सरयुग यादव, आनंदी कलाकार, भागवत मंडल, महेंद्र भारती, महेंद्र ठाकुर को कंबल प्रदान किया गया. इन नेताओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्तिपत्र भी दिया गया.