ग्वालपाड़ा : ग्वालपाड़ा माइनर नोहर कोठी मुसलिम टोला के नजदीक माइनर का पश्चिमी बांध इस तरह टूटा जिससे माइनर में बना पुल भी ध्वस्त हो गया. 40 वर्षो से इस क्षेत्र के किसान माइनर के पानी अपने फसल की सिंचाई के लिए टकटकी लगाये हुए थे. क्षतिग्रस्त माइनर की पुर्णस्थापन का कार्य जेकेएम कंपनी को सौंपा गया.
कंपनी के द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया. बालू के ढेर से बनाया पूर्वी बांध सिंदवारी में वर्षो 2013 में ही टूटा. बनाया गया साइफन बनने के चंद दिनों बाद ही दरार हो गयी. जिसकी तसवीर प्रभात खबर के 11 जुलाई 2013 में छापी गयी थी. नहर में किया गया काम शुरू से ही देखरेख के अभाव में कमजोर साबित हुआ.
जिसका परिणाम माइनर में पानी आते ही कई जगह माइनर क्षतिग्रस्त होने लगता है. नोहर कोठी के समीप माइनर का पश्चिमी भाग लगभग 20-25 दिन से टूटा हुआ है. बांध इस कदर टूटा है कि अगर समय रहते मरम्मत नहीं किया जाता है, तो लाखों की लागत से बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकता है.
कार्यपालक अभियंता से संपर्क करने का प्रयास किया गया. संपर्क नहीं हो रहा है. बहरहाल जो भी हो इस माइनर से सिंचाई की सुविधा किसानों के लिए सपना हो गया है. जबकि मरम्मत के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च किया जाता है.