अनहोनी. बिजली विभाग के अनुसार वर्ष 2016-17 में 27 लोगों की हुई है मौत
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घटिया सामान घटना का कारण
अनहोनी. बिजली विभाग के अनुसार वर्ष 2016-17 में 27 लोगों की हुई है मौत घटिया इंसूलेटर बर्स्ट करने के कारण मुरलीगंज में गत दिनों एक साथ छह लोगों की मौत हो गयी थी. वहीं इंसूलेटर की गड़बड़ी से ब्रेकडाउन व तार टूटने की भी घटना बढ़ गयी है. मधेपुरा : विद्युत करंट का अवांछित प्रवाह […]
घटिया इंसूलेटर बर्स्ट करने के कारण मुरलीगंज में गत दिनों एक साथ छह लोगों की मौत हो गयी थी. वहीं इंसूलेटर की गड़बड़ी से ब्रेकडाउन व तार टूटने की भी घटना बढ़ गयी है.
मधेपुरा : विद्युत करंट का अवांछित प्रवाह पोल या अन्य माध्यम से न हो ताकि जानमाल की रक्षा हो सके, इसलिए इन्सूलेटर का प्रयोग किया जाता है. गत दिनों जिले के विभिन्न इलाकों में इन्सूलेटर के पंक्चर होने की वजह से कई दुर्घटनाएं हुई हैं. बिहार में बिजली पोल पर पोर्सलीन इन्सूलेटर का इस्तेमाल बिजली विभाग के द्वारा किया जाता है. चिकनी सतह वाले इस इन्सूलेटर पर पानी नहीं टिकने की क्वालिटी की वजह से इसे बेहतर इन्सूलेटर समझा जाता रहा है.
किसी जमाने में यूरोप तथा जापान से आयतित पोर्सलीन इन्सूलेटर अपनी गुणवत्ता तथा लंबे समय तक उपयोग रहता था, लेकिन इन दिनों इन्सूलेटर की खराबी की वजह से हो रही दुर्घटनाएं चरम पर हैं. यह भी माना जाता है कि थंडरिंग जोन (वज्रपात तथा तेज विद्युत कड़कने वाला क्षेत्र) में इन्सूलेटर गरम हो जाने की वजह से खराब होने की आशंका अधिक रहती है. बहरहाल आलम यह है कि इन्सूलेटर की गड़बड़ी की वजह से हुए दुर्घटना में जहां मुरलीगंज में एक साथ छह लोगों की जान चली गयी है. वहीं इस तरह की दुर्घटनाओं में वर्ष 2016-17 में 27 लोगों के मौत की सूचना विद्युत विभाग के पास है. इनमें से 11 लोगों को मुआवजा भी विभाग ने दिया है. हालांकि इनसान के मरने पर विद्युत विभाग में मुआवजा देने का प्रावधान भी है लेकिन पशुधन की मौत के मामले में बिजली विभाग न तो कोई सूचना रखता है और न ही उनके लिए कोई मुआवजा का प्रवधान है. विभाग अगर बेहतर इन्सूलेटर का इस्तेमाल करें तो जान माल को सुरक्षित किया जा सकता है.
टेंडर में एल वन बनने के चक्कर होता है घटिया निर्माण : विद्युत विभाग द्वारा सारी निविदा केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत की जाती है. स्थानीय तौर पर एक स्विच तक खरीदने का अधिकार नहीं होता है. निविदा के दौरान कम दर पर निविदा लेने की होड़ कहीं न कहीं घटिया निर्माण को बढ़ावा देती है. इस पर लगाम लगाने का प्रयास करने वाले स्थानीय अधिकारियों पर भी ठेकेदार उल्टा आरोप लगाने से बाज नहीं आते. यही कारण है कि अधिकारी भी काफी फूंक फूंक कर ही कुछ बोलते या कार्रवाई करते है. अधिकतर निर्माण कार्य आनन फानन में कार्यपूरा हुआ है. ऐसी स्थिति में जिलास्तर पर समग्र जांच से ही लाइन की गुणवत्ता तथा इस्तेमाल किये गये सामान की गुणवत्ता का पता चल पायेगा.
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