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1.3 लाख को शौचालय नहीं

दुखद. मात्र 70 हजार परिवार की करते हैं शौचालय का प्रयोग 2012 के सर्वे के अनुसार लखीसराय में 02 लाख 02 हजार 06 सौ परिवारों में से 70 हजार परिवारों ही शौचालय का प्रयोग करते हैं. यह बातें डीएम ने शिक्षा विभाग से संबंधित पदाधिकारियों व प्रधानाध्यापकों से उन्मुखीकरण कार्यक्रम के दौरान कही. लखीसराय : […]

दुखद. मात्र 70 हजार परिवार की करते हैं शौचालय का प्रयोग

2012 के सर्वे के अनुसार लखीसराय में 02 लाख 02 हजार 06 सौ परिवारों में से 70 हजार परिवारों ही शौचालय का प्रयोग करते हैं. यह बातें डीएम ने शिक्षा विभाग से संबंधित पदाधिकारियों व प्रधानाध्यापकों से उन्मुखीकरण कार्यक्रम के दौरान कही.
लखीसराय : बुधवार को टाउन हॉल में शिक्षा विभाग द्वारा शौचालय व शुद्ध पेयजल विषय को लेकर उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया़
जिसमें जिले के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व पदाधिकारी शामिल हुए़ कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी सुनील कुमार व डीइओ त्रिलोकी सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया़ उद्घाटन के बाद डीएम ने एक शिक्षक व प्रशिक्षक बनकर उपस्थित प्रधानाध्यापकों को जीरो बजट घरकुंडा शौचालय निर्माण का पाठ पढ़ाने तथा इसे प्रायोगिक कर समझाने का काम किया़ डीएम ने प्रधानाध्यापकों से अपने पोषक क्षेत्र में बच्चों के साथ मिलकर इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता लाने का दिशा निर्देश दिया़
उन्होंने कहा कि बेसलाइन सर्वे 2012 के अनुसार जिले में कुल 02 लाख 02 हजार 06 सौ परिवारों में से 70 हजार परिवारों ही करते हैं शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं, जिसका मतलब अभी भी जिलें में 1 लाख 30 हजार परिवार खुले में शौच कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो की सालाना रिपोर्ट कहा गया है कि खुले शौच के कारण 30 प्रतिशत महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना घटित होती है, जिसमें 85 प्रतिशत मामलों में इस
घटना को उसके सगे संबंधी ही अंजाम देते हैं. उन्होंने कहा कि हत्या शरीर को मारता है जबकि दुष्कर्मी आत्मा को ही मार देता है और पीड़ित को अंधेरे में जीवन गुजारने को मजबूर कर देता है़ यही सब सोच कर उन्होंने जीरो बजट पर शौचालय निर्माण करवाने का लक्ष्य लिया़ उन्होंने कहा इससे खुले में शौच नहीं जाने पर घर की बहू-बेटी की प्रतिष्ठा बची रहेगी, इसके लिए हम सभी को इसमें सहयोग करने की जरूरत है़ उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे अपने विद्यालय के कक्षा आठ से दशम वर्ग के छात्रों के साथ ग्रामीणों व उनके बच्चों को जागरूक करें. उन्होंने इसका नाम बालशक्ति दिया़

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