सिंह राशि के गुरु स्थित होने व राहु की युति के साथ बना विशेष योग
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महाशिवरात्रि : चांडाल योग में होगी शिव की पूजा
सिंह राशि के गुरु स्थित होने व राहु की युति के साथ बना विशेष योग 35 वर्ष बाद बना है सुखद संयोग, धनिष्ठ नक्षत्र का योग होने से शिवरात्रि को माना जा रहा है खास लखीसराय : महाशिवरात्रि का पर्व आज मनाया जायेगा. इसको लेकर शिव मंदिरों में तैयारी की गयी है. ज्योतिषाचार्य उमाशंकर व्यास […]
35 वर्ष बाद बना है सुखद संयोग, धनिष्ठ नक्षत्र का योग होने से शिवरात्रि को माना जा रहा है खास
लखीसराय : महाशिवरात्रि का पर्व आज मनाया जायेगा. इसको लेकर शिव मंदिरों में तैयारी की गयी है. ज्योतिषाचार्य उमाशंकर व्यास जी के मुताबिक इस बार शिवरात्रि का विशेष संयोग है. यह 35 वर्ष बाद आया है. इस वर्ष शुक्र मीन राशि की जगह मकर राशि में विद्यमान रहेगा. चूंकि इस संवत् वर्ष में सिंहस्थ काल चल रहा है यानि सिंह राशि में गुरु स्थित है व राहु की युति के साथ चांडाल योग की स्थिति बन रही है. यह स्थिति 35 वर्ष बाद महाशिवरात्रि पर बन रही है.
इस वर्ष शिवरात्रि के दिन सोमवार का संयोग भी बन रहा है. साथ ही इन घनिष्ठ नक्षत्र का योग होने से शिवरात्रि को खास माना जा रहा है. सोमवार को घनिष्ठ नक्षत्र पड़ने से शुभ नाम का योग भी बन रहा है. शुभ योग व चांडाल योग में शिव पूजन की विशेष मान्यता होने से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी साबित होगा.
ऐसे करें पूजा
ज्योतिषाचार्य व्यास जी के मुताबिक महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सारे मनोरथ पूर्ण करते हैं. घर में पूरी श्रद्धा के साथ साधारण पूजन भी किया जाये तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें. यज्ञोपवीत धारण कर शरीर शुद्ध करें. फिर आसन की शुद्धि करें. पूजन-सामग्री को यथा स्थान रखकर रक्षादीप प्रज्जवलित कर लें. इसके बाद स्वस्ति-पाठ करें. पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश व माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करें. यदि रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करें.
संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें. फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय(स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) व सर्प का संक्षिप्त पूजन करें. हाथ में बिल्व पत्र व अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें. आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान करायें. भगवान काे एक साथ पंचामृत स्नान करायें, फिर सुगंध-स्नान व उसके पश्चात शुद्ध स्नान करायें. भगवान शिव को वस्त्र चढ़ायें. इसके बाद जनेऊ, फिर सुगंध इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढ़ायें. भगवान को विविध प्रकार के फल चढ़ायें. इसके पश्चात धूप-दीप जलायें. हाथ धोकर भगवान भोलेनाथ को नैवेद्य लगायें.
राशि के अनुसार करें शिव की पूजा
मेष राशि : रक्त पुष्प से पूजन करें व अभिषेक शहद से करें. ॐ नम: शिवाय का जाप करें.
वृषभ राशि : श्वेत पुष्प व दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें.महामृत्युंजय का मंत्र जपें.
मिथुन राशि : अर्क, धतूरा व दुग्ध से अभिषेक करें. शिव चालीसा पढ़ें.
कर्क राशि : श्वेत कमल, पुष्प व दुग्ध से पूजन-अभिषेक करें. शिवाष्टक पढ़ें.
सिंह राशि : रक्त पुष्प व पंचामृत से पूजन-अभिषेक करें.
कन्या राशि : हरित पुष्प,भांग व सुगंधित तेल से पूजन अभिषेक करें. शिव पुरान व वर्णित कथा का वाचन करें.
तुला राशि : श्वेत पुष्प व दुग्ध धार से अभिषेक करें. महाकाल सहस्त्रनाम पढ़़ें
वृश्चित राशि : रक्त पुष्प व सरसों तेल से पूजन-अभिषेक करें. शिवजी के 108 नामों का स्मरण करें.
धनु राशि : पीले पुष्प व सरसों तेल से पूजन-अभिषेक करें.
मकर राशि : नीले-काले पुष्प व गंगा जल से पूजन अभिषेक करें.
कुंभ राशि : जामुनिया-नीले पुष्प व जल से पूजन अभिषेक करें. शिव षडाक्षर मंत्र का 11 बार स्मरण करें.
मीन राशि : पीले पुष्प व मीठे जल से पूजन करें. रावण रचित तांडव का पाठ करें.
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