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कनकनी बढ़ने से परेशान रहे लोग

कनकनी बढ़ने से परेशान रहे लोग प्रतिनिधि, लखीसरायसर्द हवाओं के साथ तापमान में गिरावट लगातार जारी है. सोमवार को भी सर्द हवाओं के कारण सारा दिन कनकनी बनी रही. हल्की धूप लोगों को राहत नहीं दे रहा था. सारा दिन सूर्य बादलों की ओट में आंख मिचौली करता रहा. सुबह धूप भी देर से निकला. […]

कनकनी बढ़ने से परेशान रहे लोग प्रतिनिधि, लखीसरायसर्द हवाओं के साथ तापमान में गिरावट लगातार जारी है. सोमवार को भी सर्द हवाओं के कारण सारा दिन कनकनी बनी रही. हल्की धूप लोगों को राहत नहीं दे रहा था. सारा दिन सूर्य बादलों की ओट में आंख मिचौली करता रहा. सुबह धूप भी देर से निकला. धूप में गरमी नहीं व हवा की रफ्तार तेज होने की वजह से लोगों को दिन में भी अधिक ठंड महसूस हो रहा था. ओस के कारण सड़कें भींगी रही. ओस के साथ हल्की हवा में ठंड को काफी बढ़ा दिया. लोग अपने घरों से निकलने में भी में परहेज बरतते रहे और जहां-तहां अलाव जला कर या फिर चाय की दुकानों व घरों में दुबके रहे. दिन चढ़ने के बाद भी धूप से लोगों को राहत नहीं मिली. ठंड के कारण स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति सामान्य दिनों से काफी कम नजर आयी. पूस माह में दिखा ठंड का असर आखिरकार वर्ष 2015 के अंतिम पखवारा माघ माह में ठंड ने अपना असर दिखा ही दिया. पिछले दो दिनों के दरम्यान वर्ष के अंत में पहली बार ठंड अपना रौद्र रूप करती नजर आयी. हाड़ कंपा देनेवाली ठंड के कारण आम जन जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया. शीतलहर व कंपकंपी के कारण लोग परेशान रहे व ठंड से बचने का हर संभव प्रयास करते दिखे. ठंड के कारण वाहनों के आवागमन पर भी असर पड़ा. ट्रेनों के परिचालन में भी कोहरा व ठंड का असर देखा गया. ट्रेनों में यात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही. गरीबों की बढ़ी मुश्किलें बढ़ती ठंड के कारण गरीबों की मुश्किलें काफी बढ़ने लगी है. खुले आसमान के नीचे तिरपाल या पन्नी तान कर रहने वाला परिवार या कच्चे मकानों व फूस के घरों में रहने वाले लोग, हाट बाजारों में रिक्शा ठेला चला कर अपने परिवार का गुजर बसर करने वाले मेहनतकश मजदूरों की मुश्किलें बढ़ने लगी है. हाड़ कंपा देने वाली ठंड की शुरुआत होते ही उन्हें काम पर जाने में परेशानी होने लगी है और बगैर काम पर गये गरीब परिवार के घरों में चूल्हा जलना भी मुश्किल है. गरम कपड़े के अभाव में वे लोग जैसे तैसे अपना गुजारा करने को मजबूर हैं. नहीं हुआ कंबल या गरम कपड़े का वितरणशीतलहर अपने यौवनावस्था में आ चुका है लेकिन अब तक किसी भी स्तर से गरीबों के बीच कंबल या उनी कपड़ा का वितरण नहीं हुआ. राहत की आस में गरीब लोग स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ता व जिला प्रशासन से आशान्वित हैं. उठने लगी अलाव व्यवस्था की मांगशीतलहर का प्रकोप भयावह होते ही लोगों ने जिला प्रशासन से अलाव की व्यवस्था करने की मांग शुरू कर दी है. शहर में अलाव नहीं जलने से गरीबों काे रात गुजारना भी मुश्किल हो गया है. नप प्रशासन या आपदा प्रबंधन के द्वारा अलाव की राशि उपलब्ध नहीं कराये जाने से परेशानी बनी हुई है. ठंड से बचने के लिये गरीब कूड़ा-कचरा, टायर आदि जलाकर काम चला रहे हैं. जगदीशपुर के रोहित कुमार, सूर्यगढ़ा बाजार के विमल वर्मा, साकेतनगर सूर्यगढ़ा के अजय ठाकुर, सूर्यगढ़ा बाजार के प्रेम महाजन आदि ने सूर्यगढ़ा बाजार सहित कजरा, मेदनीचौकी, पीरीबाजार के हाट बाजारों व ग्रामीण इलाकों में बढ़ती ठंड के मद्देनजर अविलंब अलाव की व्यवस्था करने की मांग की है. इसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं से सहयोग की अपील की है, ताकि ठंड के कहर से गरीबों को बचाया जा सके.

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