लखीसराय : केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दाल का कटोरा कहे जानेवाले बड़हिया टाल में सुखाड़ पर ध्यान नहीं दिये जाने से किसानों ने सुखाड़ से निबटने के लिए खेतों में पटवन कर रबी फसल चना, मसूर, केराव, राई आदि की बुआई कर रहे हैं. जिले के 1700 हेक्टेयर मे फैली बड़हिया टाल में इस वर्ष बरसात के दिनो में गंगा व हरूहर नदी के पानी से टाल नहीं डूबने,
नक्षत्र की बारिश नहीं होने व पछिया हवा चलने से टाल के केवाल मिट्टी में नमी समाप्त हो गयी है. जिसके परिणाम स्वरूप तीन हिस्सा टाल सुखाड़ की चपेट में आ गयी है. किसानों ने टाल के एक हिस्से मे रबी की बुआई की है. जहां खेतों में नमी नहीं थी. वहां भी बुआई की. लेकिन बीज अंकुरित नहीं हो पायी.
तब जाकर किसानों ने खेतों में पटवन कर रबी की बुआई प्रारंभ कर दी है. जिससे अपना परिवार, बाल बच्चे का जीवन निर्वहन हो सके. क्योंकि इस टाल में एक मात्र फसल रबी का उत्पादन होता है. इधर बड़हिया के किसान टाल के सुखाड़ की चपेट में आने से चिंतित है. भगवान से बारिश की प्रार्थना कर रहे हैं. वहीं केंद्र व राज्य सरकार तथा जन प्रतिनिधियों किसानों के प्रति चिंतित न रह कर अपनी कुर्सी बचाने की चिंता में लगे हुए हैं. जिससे किसान काफी मायूस हैं. किसान संजीव कुमार ने बताया कि आज दाल की कीमत आसमान छू रही है. वहीं दाल उत्पादन करनेवाले बड़हिया टाल सुखाड़ की चपेट में है.
ऐसे परिस्थिति मे भी राज्य सरकार व केंद्र सरकार किसान के प्रति चिंता नहीं है. किसान राम नारायण कुमार ने कहा कि इस क्षेत्र के किसानों की एक मात्र रबी फसल उत्पादन होता है. वह भी सूखे की चपेट में है. ऐसी हालात में सरकार व जनप्रतिनिधियों को इस विषम परिस्थिति में सहयोग के लिए आगे आना चाहिए. जिससे किसानों का संपूर्ण टालों में रबी की बुआई कर पाते. लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी तक कोई सहयोग देने के लिए आगे नहीं आया है.
जिससे किसान सरकार व जनप्रतिनिधि के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है.प्रखंड कृषि पदाधिकारी महेंद्र चौधरी ने बताया कि सुखाड़ के बारे में अभी तक कोई भी किसान ने आवेदन नहीं दिया है. जिससे वे उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं.