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नवरात्र प्रारंभ होते ही माहौल भक्तिमय

आस्था : नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा िनयम िनष्ठा से की गयी मंदिरों में विराजमान हुई देवी मां की प्रतिमाएं ़ शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के स्थायी सभी मंदिरों में नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा अर्चना शुरू हो गया है ़ किशनगंज : जिले के सभी स्थायी […]

आस्था : नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा िनयम िनष्ठा से की गयी

मंदिरों में विराजमान हुई देवी मां की प्रतिमाएं ़ शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के स्थायी सभी मंदिरों में नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा अर्चना शुरू हो गया है ़
किशनगंज : जिले के सभी स्थायी दुर्गा मंदिर सजधज कर तैयार वहीं अस्थायी पंडालों को सजाने-संवारने में कलाकार जुटे हुए हैं. कलश स्थापन होते ही देवी मंदिरों में आस्था का ज्योत जल उठा. शहर के बड़ी कोठी दुर्गा मंदिर, सुभाषपल्ली, मिल्लनपल्ली, लाइन दुर्गा बाड़ी आदि दुर्गा मंदिरों में पूजा के प्रथम दिन से ही विशेष तैयारी की गयी है.
यहां के समिति ने साफ-सफाई, बिजली आदि की व्यवस्था दुरुस्त कर ली है. इसे देख शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में भक्तिमय माहौल बन गया है और आज से आस्था का जनसमूह उमड़ने लगा. वहीं पौआखाली में शारदीय नवरात्र की शुरुआत होते ही कलश स्थापन के साथ प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना को लेकर पौआखाली सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में शनिवार के दिन अहले सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी़ इस दौरान माता के भक्तों ने जगदम्बा की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना करते हुए फूल प्रसाद आदि अर्पित किये.
दस दिनों तक चलने वाले इस महा पूजा को लेकर लोगों में उत्साह और उमंग का संचार दिखने लगा है. पुरोहित हरेकृष्ण पाठक और पवन पाठक के द्वारा मंदिर में पूजा अर्चना शुरू है . नवरात्रि करने वाले भक्त विधि-विधान पूर्वक माता की पूजा में तल्लीन है. सुबह चार बजते ही मंदिर की घंटियां बजनी शुरू हो जाती है़
पंडाल बनाने की तयारी शुरू
मंदिर प्रांगण में भव्य व आकर्षक पूजा पंडाल निर्माण कार्य अररिया जिले के बरदबट्टा बाजार से पूजा समिति द्वारा मंगवाये गये जय माता दी टेंट द्वारा जारी है़ पिछले तीन वर्षों से इनके द्वारा मंदिर में पूजा पंडाल बनाने का कार्य होते रहा है़ इस वर्ष भी आकर्षक पंडाल और भव्य रोशनी के इंतजाम किये गए हैं.
जैफुद्दीन करते हैं सफाई
पौआखाली बाजार का सार्वजनिक दुर्गा मंदिर वर्षों से हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा के समय स्थानीय ननकार मुस्लिम टोला निवासी मो जैफूद्दीन पिछले चार दशकों से मंदिर परिसर की साफ-सफाई करते आ रहे हैं जो अपने आप में एक साम्प्रदायिक सद्भाव का अनोखा मिशाल है. जैफूद्दीन पुरे उत्साह के साथ इस कार्य को करते हैं. उनके मन में किसी तरह का भेदभाव जैसी कोई बात नहीं. वे प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा नजदीक आते ही कमेटी से संपर्क कर इस कार्य की जिम्मेवारी खुद संभालते हैं. इस दरम्यान पूरी आस्था के साथ अपने कार्य को बखूबी अंजाम देते हैं जिसकी काफी प्रशंसा होती है.
बलिप्रथा की है पुरानी परम्परा
यहां मंदिर में दुर्गा पूजा में बलि प्रथा की वर्षों पुरानी परम्परा है़ महानवमी के दिन सैकड़ों पाठाओं की बलि दी जाती है. कहा जाता है कि बीते जमाने में राजा पीसी लाल के समय से ही यह परंपरा शुरू की गई थी़ पहले यह परंपरा खानाबाड़ी ग्राम स्थित दुर्गा मंदिर में आरंभ हुआ . फिर पौआखाली में भी बलि प्रथा आरंभ हुई जो आजतक जारी है़ इसलिए इस मंदिर में काफी दूर-दराज से लोग आकर आस्था स्वरूप बलि प्रदान करते हैं.
संधि पूजा में उमड़ती है भीड़
संधि पूजा यानि महाअष्ट्मी के दिन माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना यहां खास तरीके से होती है़ पूजा में काफी संख्या में माता के श्रद्धालु डाला चढ़ाते है. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग माता को चढ़ावे के तौर पर फलों और मिठाइयों से सजे डाले के अलावा माता के श्रृंगार का सामान जैसे कपड़ा,अलता, सिंदूर, बिंदी चूड़ी आदि अर्पित करते है. संधि पूजा के दौरान ही यहां मंदिर कमेटी के सौजन्य से एक पाठा की बलि दी जाती है जिसे कंधे में लेकर ढाक और शंख की ध्वनि के साथ मंदिर की पांच परिक्रमा के पश्चात परिसर स्थित एक गड्ढे में दफना दिया जाता है. संधि पूजा के दौरान 108 दिये जलाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. शक्ति पूजा संध्या पांच बजकर दस मिनट से प्रारंभ होकर संध्या पांच बजकर अंठावन मिनट में समाप्त हो जाएगी़ जिसके बाद सोमवार को महानवमी का पूजन प्रक्रिया आरम्भ है.

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