बारिश के बाद नदियों के जलस्तर में वृद्धि से कटाव तेज हो गया है. कटाव के कारण बलिया गांव का अस्तित्व खतरे में है. पहले तो जमीन कटी, अब गांव भी निशाने पर है. कई घर नदी की तेज धारा में समा चुके हैं. अब तक कटाव से बचाव की कोई पहल जिला प्रशासन ने नहीं की है.
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बलिया पर संकट कटाव. पहले जमीन, अब घर निशाने पर
बारिश के बाद नदियों के जलस्तर में वृद्धि से कटाव तेज हो गया है. कटाव के कारण बलिया गांव का अस्तित्व खतरे में है. पहले तो जमीन कटी, अब गांव भी निशाने पर है. कई घर नदी की तेज धारा में समा चुके हैं. अब तक कटाव से बचाव की कोई पहल जिला प्रशासन ने […]
कोचाधामन : विगत कई दिनों से हो रही लगातार बारिश से जहां प्रखंड क्षेत्र की विभिन्न नदियों के जल स्तर में वृद्धि होने से नदी तट पर बसे लोगों की नींद हराम हो गयी है. वहीं धीरे-धीरे जल स्तर में गिरावट से नदी के तेज धार से भीषण कटाव जारी है़ बताते चलें कि बीते पांच दशक से कटाव का दंश झेल रहे प्रखंड के बलिया गांव वासी आज भी दहशत में जीवन जी रहे है़ं उन्हें अब भी डर सता रहा है कि किस घड़ी पूरा गांव नदी के गर्भ में समा जाये़
ग्रामीणों की आपबीती सुनने के पश्चात दिल दहला देने वाली तथ्य सामने आने से यह साफ हो गया कि प्रखंड व जिले की सीमा पर बसे इस गांव के दर्द को बांटने न तो जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन ही ही कभी इस ओर पहल की़ पांचवे दशक के अंत में जब पूरा गांव पुन: कनकई नदी के भीषण कटाव के जद में आ गया तो ग्रामीण उद्धारक की बाट जोह रहे हैं. कोई मसीहा आकर पूरे गांव को पुन: कनकई नदी के भीषण कटाव से नदी के गर्भ में जाने से बचा ले़
गांव को बचाने की नहीं हो रही पहल
नदी की धारा में समाने लगे हैं बलिया के ग्रामीणों के घर.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क व प्राथमिक विद्यालय के अस्तित्व पर भी खतरा
ग्रामीण राम प्रसाद यादव, ज्योतिष कर्मकार, महेश लाल यादव, पंचानंद, संचानंद, मो फारूक, चैतु मिया, सालेहा खातुन, मो नजीर, हाजी सलीमउद्दीन, हाजी मो हसनैन, अब्दुल कैयुम सहित अन्य पीडि़त परिवार के लोगों ने बताया कि 70 के दशक से पहले उक्त गांव विभिन्न जातियों का सुसंगठित व संपन्न गांव था़ अधिकतर किसान थे
परंतु कनकई नदी के कहर ने आज इन किसान परिवार को मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया़ परिवार का भरण पोषण के लिए आज उन्हें अन्य राज्यों में मजदूरी करना पड़ रहा है़ क्येांकि कटाव का तांडव ऐसा हुआ कि सभी बेघर होकर विस्थापित की जीवन जीने लगे़ गांव का अस्तित्व समाप्त हो गया़ ढाई सौ एकड़ उपजाऊ जमीन नदी के गर्भ में समा गयी. कटाव पीड़ित दाने दाने को मोहताज हो गया़ बहरहाल जैसे तैसे लोग जीवन जीने लगे़ हाल के कटाव ने कई परिवार के घरों को अपने गर्भ में समा चुके है़
स्थिति यही रही तो निश्चित रूप से गांव सहित प्रधानमंत्री सड़क, प्राथमिक विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी भवन, मौजा का आधे से अधिक उपजाउ भूमि कनकई नदी के गर्भ में चला जायेगा़ सैकड़ों परिवार बेघर हो जायेगा़ भविष्य की सुरक्षा को लेकर पीड़ित ग्रामवासी ने विधायक, सांसद एवं जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कटाव से बचाव के स्थायी समाधान की मांग की है़
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