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सेंट चाइल्ड की भूमि अतिक्रमित करनेवालों पर कार्रवाई : डीएम जायजा लेते जिला पदाधिकारी पंकज दीक्षित व अन्य पदाधिकारी ़
स्कूल की भूमि अब बिहार सरकार के अधीन तत्कालीन एडीएम ने किया था डीसीएलआर के आदेश को निरस्त किशनगंज :जिला पदाधिकारी पंकज दीक्षित ने रविवार को शहर के बुहचर्चित सेंट चाइल्ड स्कूल की जमीन जो अब जिला प्रशासन के अधीन है इसका स्थल निरीक्षण किया़ स्थानीय लोगों ने शहर के बीचो बीच स्थानीय रूईधासा वार्ड […]
स्कूल की भूमि अब बिहार सरकार के अधीन
तत्कालीन एडीएम ने किया था डीसीएलआर के आदेश को निरस्त
किशनगंज :जिला पदाधिकारी पंकज दीक्षित ने रविवार को शहर के बुहचर्चित सेंट चाइल्ड स्कूल की जमीन जो अब जिला प्रशासन के अधीन है इसका स्थल निरीक्षण किया़ स्थानीय लोगों ने शहर के बीचो बीच स्थानीय रूईधासा वार्ड संख्या 24 में स्थित बेशकीमती सेंट चाइल्ड स्कूल की भूमि जो बेनामी संपत्ति होने के बाद जिला प्रशासन के अधीन है इस भूमि पर डीएम से बालिका उच्च विद्यालय बनाने की मांग की है़
इस बेशकीमती जमीन क खाली रहने के कारण हो रहे अवैध कब्जे से डीएम को अवगत कराया़ डीएम ने मौके पर मौजूद विशेष कार्य पदाधिकारी हिरामुनि प्रभाकर को निर्देश देते हुए कहा कि उक्त भूमि की फाइल उनके समक्ष प्रस्तुत करे़ डीएम ने कहा कि सेंट चाइल्ड स्कूल की भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी़
जिला पदाधिकारी ने कहा कि खासकर भू-माफियाओं के खिलाफ प्रशासन कठोर कार्रवाई करेगी. स्थानीय रूईधासा स्थित सेंट चाइल्ड स्कूल की जमीन जिसका मौजा खगड़ा, थाना संख्या 57, खाता 373 अंतर्गत खेसरा संख्या 1168 में 1.44 एकड़ एवं खेसरा संख्या 1670 में 0.81 एकड़ मौजूद है. कुल मिलाकर 2.25 एकड़ यानि 86 का जमीन के वैध वारिश को लेकर विवाद है. उक्त भूमि की जमाबंदी संख्या 268
नामांतरण वाद संख्या 307/ 1977-78 में स्कूल के संस्थापक फादर अरूण तारा चौधरी पिता भोला नाथ चौधरी के नाम से दर्ज है. अपर समाहर्ता न्यायालय ने अपने आदेश फलक में कहा कि प्रतिवादी द्वारा परिशीला भाटिया का जमाबंदी रैयत अरूण तारा चौधरी के वैध वारिस होने का सक्षम न्यायालय द्वारा निर्गत कोई प्रमाण-पत्र इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है. अत: परिशीला भाटिया का उत्तराधिकारी होने का प्रश्न विवादित है. ऐसे में सेंट चाइल्ड स्कूल की भूमि का कौड़ी के भाव से आकलन किया जा तो करोड़ो रूपये की इस संपत्ति के लिए संबंधित कार्यालय के बाबूओं द्वारा कागजात को दबाये रखना कई सवाल खड़े करता है.
क्या है पूरा मामला
सनद रहे कि रूईधासा स्थित जिले के सबसे पुराने एवं अंग्रेजी माध्यम के प्रसिद्ध स्कूल सेंट चाइल्ड स्कूल के संस्थापक अरूण तारा चौधरी की मृत्यु के उपरांत स्कूल के करोड़ों रुपये की भूमि पर भू माफियाओं की कुदृष्टि पड़ गयी थी. तब आवेदक सहित स्थानीय लोगों ने स्कूल की जमीन बचाने का मुहिम चलायी. स्थानीय लोग व आवेदक के अनुसार स्कूल के संस्थापक अरूण तारा चौधरी की 1995 में मृत्यु हो गयी. उनके जीवित रहने व मृत्यु के वर्षों बाद तक कोई वारिस नहीं आया. चौधरी के मृत्यु के उपरांत नारायण दास ने स्कूल का जिम्मा संभाला.
नारायण दास ने भू-माफिया से गठजोड़ कर अरूण तारा चौधरी का फर्जी वारिस परिशीला भाटिया को बना कर 23.6.09 को अनवार युसूफ के नाम से फर्जी पावर ऑफ एटर्नी तैयार करवा कर स्कूल की भूमि पर कब्जा करने की नियत से स्कूल के भवन तुड़वाने लगा. जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार अरूण तारा चौधरी अविवाहित थे और उनका कोई वारिस नहीं था. आवेदक व स्थानीय लोगों ने मामले को लेकर अंचलाधिकारी को आवेदन दिये.
जिस पर जमाबंदी रद्दीकरण वाद संख्या 02/2009-10 संधारित हुआ. आवेदकों के अनुसार डीसीएलआर ने बिना स्थल जांच किये तथा कागजातों एवं साक्ष्यों का सत्यापन किये बगैर भू-माफियाओं के प्रभाव में आकर जमाबंदी यथावत रखने का आदेश पारित किया.
स्थानीय लोगों ने किशनगंज पहुंचे मुख्यमंत्री को स्कूल की जमीन बचाने हेतु आवेदन दिया था. उसके उपरांत मामला अपर समाहर्ता के न्यायालय पहुंचा. अपर समाहर्ता ने अपने आदेश में कहा है
कि भूमि सुधार उप समाहर्ता किशनगंज द्वारा जमाबंदी रद्दीकरण में पारित आदेश त्रुटिपूर्ण है और प्रतिवादी द्वारा परिशीला भाटिया का जमाबंदी रैयत अरूण तारा चौधरी के वैध वारिस होने का सक्षम न्यायालय द्वारा निर्गत कोई प्रमाण न तो तत्कालीन डीसीएलआर कमर आलम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया और न ही न्यायालय के समक्ष. उन्होंने परिशीला भारिया के उत्तराधिकारी होने के प्रश्न को विवादित बताया है.
लगातार हो रहा है जमीन पर अितक्रमण
शहर के बीचोंबीच स्थित सेंट चाइल्ड स्कूल भूमि प्रकरण में तत्कालीन अपर समाहर्ता नरेंद्र कुमार ने नौ जनवरी 2013 को भूमिसुधार उप समाहर्ता किशनगंज के जमाबंदी रद्दीकरण वाद संख्या 10/2010-11 में पारित आदेश निरस्त करने तथा अंचलाधिकारी किशनगंज की जमाबंदी रद्दीकरण की अनुशंसा स्वीकृत करने एवं नियमानुकूल अग्रतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. जिसका नतीजा है कि जमीन पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है.
वहीं अपर समाहर्ता न्यायालय द्वारा आदेश निर्गत करने के बाद भी पूरी फाइल किस कोने में दबी है, इसका पता नहीं चल रहा है. गौरतलब हो कि सेंट चाइल्ड स्कूल भी जिले की आन बान और शान हुआ करता था एवं यहां पढ़ने वाले कई विद्यार्थी आज उच्च पदों पर विराजमान हैं. स्थानीय निवासी एलके राय की माने तो स्वर्गीय अरूण तारा चौधरी की अंतिम इच्छा थी कि यह विद्यालय अनवरत चलता रहे ताकि सबसे कम साक्षरता दर वाले किशनगंज जिले में शिक्षा का अलख जलता रहे.
वहीं उनकी मृत्यु के बाद समाज के प्रबुद्ध नागरिकों की बैठक हुई एवं विद्यालय को चलाने का निर्णय लिया गया एवं नारायण चंद्र दास को प्रधानाचार्य बनाया गया. लेकिन नारायण चंद्र दास द्वारा अवैध तरीके से भू माफियाओं की मिलीभगत कर फर्जी वारिस बना कर जमीन का पावर ऑफ एटर्नी अनवार युसूफ के नाम कर दी गयी. वहीं स्थानीय नागरिकों ने इसका पुरजोर विरोध किया एवं मामले को न्यायालय तक ले गये. जहां अब न्यायालय ने जमाबंदी रद्दीकरण को न्याय संगत बताया है.
विद्यालय के पूर्व शिक्षक हृदय ऋषि देव का कहना है कि प्रशासन सेंट चाइल्ड स्कूल की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे से मुक्त करवाये एवं दोषियों पर कार्रवाई की जाये .सेंट चाइल्ड स्कूल जमीन प्रकरण में जमाबंदी रद्दीकरण अपील वाद संख्या 01/2012-13 नवजोत मित्रा एवं अन्य बनाम अनवार युसूफ एवं अन्य के मामले में न्यायालय अपर समाहर्ता ने नवजोत मित्रा एवं अन्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जमाबंदी रद्दीकरण की अनुशंसा स्वीकृत कर किशनगंज अंचलाधिकारी को नियमानुकूल अग्रतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. हालांकि इस मामले को प्रभात खबर ने बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. तब प्रशासन की नींद खुली थी.
वारिस होने का नहीं दे सके कागजात
स्थानीय रूईधासा सेंट चाइल्ड स्कूल की भूमि को बिहार सरकार की भूमि के रूप में संबद्ध कर लिया गया है. बिहार लैंड ट्रीव्यूनल न्यायालय पटना के वाद संख्या 691/13 परिशीला भाटिया बनाम बिहार सरकार एवं अन्य में पारित न्यायादेश का अनुपालन करते हुए तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी कंवल तनुज ने मौजा खगड़ा थाना संख्या 57, खाता संख्या 373, खेसरा संख्या 1670, 1668, रकबा 2 एकड़ 25 डिसमिल सेंट चाइल्ड स्कूल की भूमि सहित इस परिसर की सभी संपत्ति का किशनगंज अंचल अधिकारी को रिसिवर नियुक्त किया है. साथ ही पत्र में संबद्ध भूमि पर यथा स्थिति बनाये रखने तथा किसी भी पक्ष द्वारा कोई कार्य या अन्य गतिविधि न कर सकें इसे भी
सुनिश्चित करने को कहा था. ध्यातव्य है कि भूमि की जमाबंदी संख्या 268 नामांतरण वाद संख्या 307/ 1977-78 में स्कूल के संस्थापक फादर अरूण तारा चौधरी पिता भोला नाथ चौधरी के नाम से दर्ज है. अपर समाहर्ता न्यायालय ने अपने आदेश फलक में कहा कि प्रतिवादी द्वारा परिशीला भाटिया का जमाबंदी रैयत अरूण तारा चौधरी के वैध वारिस होने का सक्षम न्यायालय द्वारा निर्गत कोई प्रमाण-पत्र इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है.
अत: परिशीला भाटिया का उत्तराधिकारी होने का प्रश्न विवादित है. सेंट चाइल्ड स्कूल के पुराने विद्यालय भवन को बुलडोजर से ध्वस्त कर अवैध रूप से चाहरदीवारी निर्माण का किया गया था. जबकि स्वर्गीय फादर अरूण तारा चौधरी का आवास अभी भी मौजूद है. यहां बताते दे कि सेंट चाइल्ड स्कूल जमीन प्रकरण में जमाबंदी रद्दीकरण अपील वाद संख्या 01/2012-13 नवजोत मित्रा बनाम अनवार युसूफ व अन्य के मामले में न्यायालय अपर समाहर्ता ने नवजोत मित्रा व अन्य के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जमाबंदी रद्दीकरण की अनुशंसा स्वीकृत कर
किशनगंज अंचलाधिकारी को नियमानुकूल अग्रत्तर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. वहीं दूसरी ओर तत्कालीन एडीएम वीरेंद्र मिश्रा ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए बिहार लेंड ट्रीब्यूनल न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में अग्रतर कार्रवाई के लिए अनुमंडल दंडाधिकारी को पत्र प्रेषित कर दिया गया था. उन्होंने अपने पत्राचार में साफ साफ लिखा है कि चोरी छुपे अवैध निर्माण करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करें.
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