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कुव्यस्था का शिकार होता जा रहा सदर अस्पाल

किशनगंज : पूर्व के दिनों में जिले वासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाला सदर अस्पताल हाल के दिनों में विभागीय उदासीनता के कारण अब खुद बीमार होने की कगार पर पहुंच चुका है. विभागीय पदाधिकारी के उदासीन रवैये के साथ साथ जियो और जीने दो की नीति के तहत कार्य करने से इलाज […]

किशनगंज : पूर्व के दिनों में जिले वासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाला सदर अस्पताल हाल के दिनों में विभागीय उदासीनता के कारण अब खुद बीमार होने की कगार पर पहुंच चुका है. विभागीय पदाधिकारी के उदासीन रवैये के साथ साथ जियो और जीने दो की नीति के तहत कार्य करने से इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे मरीजों के बीच त्राहिमाम मच गया है.

नतीजतन दिनोंदिन इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है. जिले के सक्षम परिवार के लोगों ने जहां सदर अस्पताल से मुंह मोड़ लिया है वहीं जिले की अधिकांश गरीब तबके के लोगों के लिए सदर अस्पताल आज भी किसी देवालय से कम नहीं है. इसके बावजूद सदर अस्पताल में भरती मरीजों के साथ अस्पताल प्रबंधन के द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है.

मीनू के अनुरूप नहीं मिल रहा खाना : मंगलवार को सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को मेनू के अनुरूप खाना तक नहीं दिया गया. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी सूची के अनुसार जहां सुबह के नास्ते में भर्ती मरीजों को 6 पीस पावरोटी, 1 अंडा, 200 एमएल दूध व 1 मौसमी फल देने का प्रावधान है. वहीं संबंधित एजेंसी द्वारा भरर्ती मरीजों को मात्र 4 पीस पावरोटी, आधा अंडा व केला प्रदान किया गया. वहीं दोपहर को भोजन की स्थिति तो और भी भयावह थी. भरती मरीजों को मोटे व बदबूदार भात के साथ दी जाने वाली दाल से न केवल दाल ही गायब थी ,आलू व सोयाबीन की नाममात्र की सब्जी में मरीजों को कठिनाई से सोयाबीन खोजना पड़ रहा था.

सदर अस्पताल में िमलता है ऐसा खाना तो पीएचसी में कैसा िमलता होगा

इस संबंध में पूछे जाने पर सदर अस्पताल में भर्ती मरीज तस्लीमा खातुन पति रहमुद्दीन, गड़बनडांगा निवासी, पूजा कुमारी पिता स्व चंदन जोगी शांतिनगर, लक्ष्मी देवी पति स्व शिवलाल सोनार कुम्हार टोली तेघरिया, जुलेखा खातुन पति स्व हबीबुल रहमान कलकली कोचाधामन,तालीमा पिता मुंशी अमीरूद्दीन डुब्बाबस्ती, ताराबाड़ी निवासी आदि ने बताया कि जब सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को इतने घटिया स्तर का खाना दिया जाता है तो जिले के पीएचसी की स्थिति कैसी होगी? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ही राज्य सरकार ने मरीजों को दी जाने वाली भोजन की राशि को 50 रुपये से बढ़ा कर 84 रुपये कर दिया है. इसके बावजूद भी संबंधित एनजीओ विभाग के वरीय पदाधिकारी के साथ मिलीभगत कर गरीबों के हक का निवाला छीनने से भी बाज नहीं आ रहे है.

क्या है मीनू : जबकि राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा जारी मीनू चार्ट के अनुसार भरती मरीजों को दोपहर के खाने में 250 ग्राम चावल, 50 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी के साथ साथ 50 ग्राम दही देना भी अनिवार्य है. जबकि शाम में मरीजों को 2 पीस ग्लूकोज बिस्किट व 1 कप चाय के स्थान पर मात्र 1 कप चाय से ही संतोष करना पड़ा. रात के खाने में मरीजों को दी जाने वाली 4 पीस रोटी, 50 ग्राम दाल व 100 ग्राम सब्जी में से मात्र सब्जी रोटी से ही संतोष करना पड़ा.

कहते हैं सिविल सर्जन : सिविल सर्जन डा परशुराम प्रसाद ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अगर दो दिनों के भीतर संबंधित एजेंसी मीनू अनुरूप भोजन मुहैया नहीं कराता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

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