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संसारपुर रेल हादसा. जांच बाद में फैसला पहले!

संसारपुर रेल हादसा. जांच बाद में फैसला पहले! सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम ने घटना के ही दिन ही बोल दिया था कि रेलवे की गलती नहीं डीआरएम के रवैये को देख बाद में हुई जांच के हश्र का चल गया पता ये तो होना ही था! बाद में हुई जांच में ही डीआरएम के […]

संसारपुर रेल हादसा. जांच बाद में फैसला पहले! सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम ने घटना के ही दिन ही बोल दिया था कि रेलवे की गलती नहीं डीआरएम के रवैये को देख बाद में हुई जांच के हश्र का चल गया पता ये तो होना ही था! बाद में हुई जांच में ही डीआरएम के फैसले पर लगी मुहर रेल प्रशासन की जांच में रेलवे को क्लीन चिट देने का पहले से था अंदेशा रेलवे की कार्यशैली के खिलाफ ग्रामीणाें ने खोला मोरचा, होगा आंदोलन पीड़ित परिवार के साथ खड़े हुए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिबैठक कर रेलवे के खिलाफ आवाज की बुलंद, घटना की हो उच्चस्तरीय जांच लोगों ने कहा, अपनी गलती छुपाने के लिए रेल प्रशासन ने करायी झूठी प्राथमिकी ———————————————प्रतिनिधि, खगड़िया. ये तो होना ही था! संसारपुर रेल हादसा के दिन बिना जांच के ही जब सोनपुर मंडल के डीआरएम ने कहा कि पूरी घटना में रेलवे की कोई गलती नहीं है, तभी पता चल गया था कि जांच का क्या हश्र होने वाला है. वही हुआ. रेल प्रशासन की जांच में रेलवे को क्लीन चिट दे दिया गया. रही सही कसर अस्पताल में भरती राजेश भगत का नाम भी रेलवे ने हंगामा की प्राथमिकी में देकर पूरी कर दी. पर, रेलवे का यह दावं उलटा पड़ गया है. रेलवे के रवैये के खिलाफ पीड़ित परिवार के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने मोरचा खोलते हुए आंदोलन का शंखनाद कर दिया है. बता दें कि घटना की शाम सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम ने कहा था कि पूरे मामले में रेलवे की कोई गलती नहीं है, फिर भी जांच के आदेश दिये गये हैं. पीड़ित राजेश को ही माना दोषी घटना के बाद बिना जांच के ही सोनपुर मंडल के डीआरएम ने कहा था कि पूरे मामले में रेलवे की कोई गलती नहीं है. उसी वक्त पता चल गया था कि जांच का क्या हश्र होने वाला है. जैसा अंदेशा था वैसा ही हुआ. उधर, रेल प्रशासन ने अपनी जांच में रेलवे को क्लीन चिट देते हुए पूरी घटना के लिए पीड़ित राजेश भगत को दोषी माना है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के वक्त रेलवे ढाला बंद था. जबरदस्ती रेलवे ढाला पार करने के दौरान हादसा हुआ. बाइक सवार चार लोग कैसे पार कर गये बंद ढाला रेल प्रशासन की जांच में रेलवे को भले ही क्लीन चिट दे दी गयी हो, लेकिन घटनास्थल की स्थिति सारी सच्चाई बयां कर रही है. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर बाइक पर सवार चार लोग बंद ढाला कैसे पार कर गये? यह कोई बताने को तैयार नहीं है. लोगों को रेलवे की सफाई गले नहीं उतर रही है. इधर, जिला प्रशासन की रिपोर्ट में बताया गया है कि घटना के वक्त रेलवे ढाला खुला हुआ था. इस मामले में रेल अधिकारी ने चुप्पी साध रखी है. लिहाजा कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. अस्पताल में भरती राजेश आंदोलन में कैसे हुआ शामिल घटना के बाद रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने आरपीएफ थाना में प्राथमिकी दर्ज करवायी है. इसमें हादसा बाद सात घंटे तक रेलवे ट्रैक जाम करने के मामले में घटना में घायल राजेश भगत को मुख्य आरोपी बनाया गया है. अब सवाल उठता है कि आखिर जिसे पुलिस ने पहले सदर अस्पताल फिर वहां से रेफर होने के बाद बेगूसराय में भरती करवाया, तो वह रेलवे अधिकारी को आंदोलन करते कैसे नजर आ गया? ग्रामीणों व प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो अपनी गलती छिपाने के लिए रेल प्रशासन ने यह झूठी प्राथमिकी दर्ज करवायी है. मानसी रेल थाने में क्यों दिया जा रहा दबाव रेल थानाध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने बताया कि रेल थाना में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए रेल प्रशासन दबाव दे रहा है. रेलवे के पीडब्लूआइ ने घटना के बाद रेल चक्का जाम मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था जिसे लौटा दिया गया. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रेल प्रशासन एक ही मामले में दूसरी प्राथमिकी के लिए रेल थाने पर क्यों दबाव दे रहा है. इस बाबत रेल अधिकारी से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन संपर्क नहीं हो पाने के कारण पक्ष नहीं लिया जा सका.कोट————संसारपुर रेलवे ढाला पर ट्रेन व बाइक टक्कर के बाद आक्रोशित लोगों द्वारा रेल चक्का जाम मामले में हर हाल में सच सामने आयेगा. रेल एसपी खुद अनुसंधान की माॅनीटरिंग कर रहे हैं. सीनियर रेल अधिकारी ने जब आरपीएफ थाने में हंगामा की प्राथमिकी दर्ज करवा दी, तो फिर रेल थाने में प्राथमिकी दर्ज करने का कोई औचित्य नहीं है. सो आवेदन लौटा दिया गया है. मिथिलेश कुमार, रेल थानाध्यक्ष, मानसी आमलोगों पर जुल्म के खिलाफ जिले की जनता एकजुट है. संसारपुर रेल हादसे में रेल प्रशासन का रवैया इनसानियत का गला घोटने जैसा है. आखिर बिना जांच के ही रेल प्रशासन ने कैसे यह फैसला दे दिया कि रेलवे की कोई गलती नहीं. बाद में हुई जांच का हश्र सबको मालूम था. किसी भी चुनौती के खिलाफ जनता के साथ-साथ नेता भी पीड़ित परिवार के प्रति एकजुट हैं. पूरी घटना के लिए रेल प्रशासन दोषी है. नागेंद्र सिंह त्यागी, प्रदेश अध्यक्ष, युवा शक्ति

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