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हर्षोल्लास पूर्वक मनायी गयी वैशाखी

लोगों ने सत्तू खाकर मनाया पर्वक्षेत्र में लोगों ने लिया पतंगबाजी का मजागोगरी: अनुमंडल क्षेत्र में वैशाखी पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. पर्व के आगमन की आस लगाये कई दिनों से बैठे लोगों की मनोकामना मंगलवार को पर्व के आगमन से पूरी हो गयी. सुबह उठ कर लागों ने सबसे पहले आसपास के भूभाग के […]

लोगों ने सत्तू खाकर मनाया पर्वक्षेत्र में लोगों ने लिया पतंगबाजी का मजागोगरी: अनुमंडल क्षेत्र में वैशाखी पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. पर्व के आगमन की आस लगाये कई दिनों से बैठे लोगों की मनोकामना मंगलवार को पर्व के आगमन से पूरी हो गयी. सुबह उठ कर लागों ने सबसे पहले आसपास के भूभाग के अलावे पेड़ पौधों पर जल का छिड़काव किया. छिड़काव के बाद स्नान ध्यान कर घर में बासी पर्व के तहत रात्रि में रख गया खाना सुबह ग्रहण किया. उसके बाद दिन में सत्तू का आनंद लिया. इस लिए वैशाखी को लोग सतुवानी पर्व भी कहते हैं. सत्तू खाने के बाद लोग पतंगबाजी में भिड़ गये. क्षेत्र के भोजुआ, गोगरी, चांदपुर, दहगाना आदि गांव के बड़े बुजुर्ग व बच्चों ने पतंगबाजी की. वह कटा के शोर से क्षेत्र गुंजायमान होता रहा.क्या है वैशाखी की मान्यताएं यह पर्व वैशाख माह के दसवीं तिथि को मनाया जाता है. इस माह में देश के लगभग सभी राज्य के किसानों द्वारा लगाया गया फसल तैयार हो जाता है. किसान फसल तैयारी को ले जहां खुश रहते हैं वहीं इस माह में तेज हवा चलने के कारण लगाने वाले आग से सशंकित भी रहते हैं कि जरा सी चूक से सारा फसल आग में जल कर बरबाद न हो जाय. इस लिए पूर्व से ही चली आ रही मान्यताओं के अनुसार लोग बासी भोजन कर अपना पेट तो भर लेते हैं. लेकिन दिन में आग नहीं जलाते हैं. वहीं रात्रि के मौसम में हवा कम चलता है इस लिए अगले दिन के लिए रात में ही भेजन पका कर रख देते हैं. यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक किसान अपने अपने अनाज को खेत खलिहान से उठा कर घर की कोठी में सुरक्षित न कर लें. इस प्रकार की मान्यतायें पूर्वजों के द्वारा चली आ रही है.

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