प्रगतिशील लेखक संघ का पांचवां जिला सम्मेलनफोटो है 14-15 मेंकैप्सन- संबोधित करते कवि व उपस्थित प्रलेस के सदस्य खगडि़या. हिंदी व उर्दू भाषा एक दूसरे के पूरक हैं. सरकार ने भी उर्दू को दूसरी भाषा माना है. सभी लोगों को हिंदी व उर्दू की जानकारी होने चाहिए, जब तक हिंदी व उर्दू को फिरकापरस्ती के दायरे से बाहर नहीं निकाला जायेगा, तब तक हमारे सामने चुनौतियां बनी रहेंगी. भाषा को भाषा के स्तर से देखा जाना चाहिए. उक्त बातें शनिवार को प्रगतिशील लेखक संघ के पांचवें जिला सम्मेलन के दौरान कवि विश्वनाथ ने कहीं. इस दौरान कवि डॉ लखन शर्मा, विभूति नारायण सिंह, प्रो अजय पटनायक, डॉ बदरूद्दीन शबनम, डॉ सादात रजी, डॉ शाहीद राजा, डॉ अरशद राजा, डॉ आफताब अहमद मनेरी, अंजर हुसैन, जुबैर आलम, कन्हैया कुमार, डॉ शंभु सिंह, सतीश आनंद आदि ने विचार रखे. इससे पहले विश्वनाथ द्वारा लिखित गजल संग्रह सूरज सलाखों में का लोकार्पण किया गया. सम्मेलन के दूसरे सत्र में प्रगतिशील लेखक संघ की कार्यकारिणी का गठन नये सत्र के लिए किया गया. इसमें संरक्षक पूर्व विधायक सत्य नारायण सिंह, अध्यक्ष डॉ लखन शर्मा, सचिव राजेंद्र प्रसाद यादव, उपाध्यक्ष डॉ अब्दुल सलाम अंसारी, मो सहजादा, कोषाध्यक्ष सतीश आनंद, मीडिया प्रभारी मुख्तार आलम को मनोनीत किया गया. कार्यकारिणी सदस्य के लिए उपेंद्र उन्मुख, गौतम गुप्ता, नवीता घनश्याम, कृष्ण मुरारी को चुना गया. मौके पर कोसी महाविद्यालय के प्रो तौसिफ आलम, वार्ड पार्षद जावेद अली, मो हैदर अली, सरफराज आलम आदि मौजूद थे. तीसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कवि सम्मेलन से पहले बिहार में उर्दू भाषा की चुनौतियां विषय पर सेमिनार में कई लोगों ने विचार रखे.
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हिंदी व उर्दू भाषा एक दूसरे का पूरक है : विश्वनाथ
प्रगतिशील लेखक संघ का पांचवां जिला सम्मेलनफोटो है 14-15 मेंकैप्सन- संबोधित करते कवि व उपस्थित प्रलेस के सदस्य खगडि़या. हिंदी व उर्दू भाषा एक दूसरे के पूरक हैं. सरकार ने भी उर्दू को दूसरी भाषा माना है. सभी लोगों को हिंदी व उर्दू की जानकारी होने चाहिए, जब तक हिंदी व उर्दू को फिरकापरस्ती के […]
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