बेलदौर. परदेस से घर आया अनिल सादा इस बार काफी खुश था. उसने सोचा था कि अपने परिवार के साथ मकर संक्राति व सरस्वती पूजा का उत्सव खूब धूमधाम से मनायेंगे. अभाव मंे जी रहे अपने मां बाप समेत तीन छोटी बहन, एक छोटा भाई व पत्नी व अपने मासूम बेटे को छोटे मोटे उपहार देकर उनके सपनों को पूरा करेंगे. पति के आने से पत्नी संगीता देवी काफी खुश थी.
दो वर्ष पहले ही तो शादी हुई थी. लेकिन घर की माली हालत के कारण अपने 1 वर्ष के बेटे खुशीलाल एवं पत्नी को घर पर छोड़कर हरियाणा मंे मजदूरी कर पूरे परिवार का जीविका चलाता था. परिवार से मिलने के उमंग में युवक 10 जनवरी को ही घर आया था.
लेकिन इसे क्या पता कि इस बार घर पर मौत इसका इंतजार कर रही है. अपने भाई बहन मे सबसे बडा बेटा अनिल ही सबका एक मात्र जीने का सहारा था. अनिल के मौत से इसके परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. बूढ़ी दादी की गोद मंे दो वर्ष का भाई गोविंद एवं एक वर्ष का बेटा खुशीलाल घटना से बेखबर खेल रहा था. तो दादी बिलख बिलख कर रो रही थी. पिता सुलोचन सादा बेटे के मौत से बुत बन गये तो मां एवं पत्नी युवक के शव से लिपटकर दहाड़ मार कर रो रहे थे.